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Oct 5, 2024

ध्यानाकर्षण के साथ ही स्थाई ज्ञान का बोध कराते हैं चित्र

 ध्यानाकर्षण के साथ ही स्थाई ज्ञान का बोध कराते हैं चित्र 

फखरपुर,बहराइच। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले नन्हे मुन्ने बच्चें बगीचे के छोटे पौधों की तरह होते है और शिक्षक माली जैसा। शिक्षा क्षेत्र फखरपुर के संविलियन विद्यालय कोदही के शिक्षक रवींद्र कुमार मिश्र ने बताया कि छोटे बच्चों का मन बहुत ही चंचल होता है इसलिए शिक्षण कार्य के दौरान इनका ध्यान आकर्षित करना बहुत जरूरी होता है। सबसे पहले कक्षा कक्ष को सहज किया जाए फिर शिक्षण कार्य के दौरान यथा संभव चित्रों का प्रयोग किया जाना चाहिए। सुनना बोलना पढ़ना लिखना ये चार चरण होते है सीखने के। शिक्षक रवींद्र के अनुसार यदि बच्चें किसी अक्षर या शब्द को सिर्फ सुनकर बोलेंगे तो उसकी समझ अस्थाई तथा कम होगी। अक्षर या शब्द को यदि किसी चित्र के माध्यम से बताया जाए तो बच्चों का ध्यान आकर्षित होने के साथ ही जो समझ विकसित होगी वो स्थाई होगी। क्योंकि चित्र शिक्षण कार्य को रुचिकर तथा सरल बनाते है। चित्रों से शब्दों की समझ का अमिट छाप बनती है मन मस्तिष्क में।

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