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Oct 22, 2024

जंयती पर याद किये गये जनकवि अदम गोंडवी, क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने समाधि पर चढ़ाये पुष्प।

 रामनाथ सिंह "अदम गोंडवी" जी की जयंती पर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने याद किया और उनकी समाधि पर पुष्प चढ़ा कर नमन किया। पिछड़ों,शोषितों की आवाज उठाने के कारण उनको जनकवि की उपाधि प्राप्त थी वह अपनी बागी छवि के कारण हमेशा शासन- प्रशासन से दो-दो हाथ करते नजर आये ।
स्व. अदम गोंडवी का जन्म 22 अक्टूबर 1947 को उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के परसपुर बाजार के निकट आटा गाँव में हुआ। उन्हें हिंदी में दुष्यंत कुमार के बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय कवि-ग़ज़लकार माना जाता है। उनकी कविता ‘मनुष्यता की मातृभाषा’ में निर्धनों, वंचितों, दलितों, श्रमिकों और उत्पीड़न का शिकार स्त्रियों की फ़रियाद लेकर आती है।उनकी रचनाएं  सामाजिक-राजनीतिक विमर्श में उनके ग़ज़ल की पंक्तियाँ बार-बार उद्धृत होती रहती हैं, मसलन यह—

आइए महसूस करिए ज़िंदगी के ताप को
मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आप को
 
कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके एक पंक्ति बेहद प्रसिद्ध हुई थी 

काजू भूनें हुए प्लेट में व्हिस्की है गिलास में
रामराज्य उतरा हुआ है विधायक निवास में 

‘धरती की सतह पर’, ‘समय से मुठभेड़’ और ‘गर्म रोटी की महक’ उनके तीन कविता-ग़ज़ल-संग्रह हैं। 1998 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने दुष्यंत कुमार पुरस्कार से सम्मानित किया। हिंदी के साथ ही अवधी में उनके योगदान के लिए उन्हें माटी रतन सम्मान से नवाज़ा गया।दिसंबर 18, 2011 को  उनकी मृत्यु हो गई। आज श्रद्धांजली अर्पित करने वालों में अरुण कुमार सिंह, बासुदेव सिंह चेयरमैन, बी डी सिंह, कमला सिंह आलोक सिंह, बृजेश सिंह, राम रति, राज कुमार सोनी,विक्रम सिंह प्रमोद मिश्र श्री हंसराज जी (अध्यापक) मौजूद रहे 


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