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Jun 10, 2024

धरि धीरज सोय रहव पुतवा नाहि तौ बलभद्र आवत है। चहलारी नरेश बलभद्र सिंह की जयंती पर किया गया नमन महसी के रमवापुर व पयागपुर में कार्यक्रम आयोजित

 धरि धीरज सोय रहव पुतवा नाहि तौ बलभद्र आवत है।

चहलारी नरेश बलभद्र सिंह की जयंती पर  किया गया नमन

 महसी के रमवापुर व पयागपुर में कार्यक्रम आयोजित

बहराइच। 1857 वीं क्रांति के महानायक चहलारी नरेश बलभद्र सिंह की जयंती 10 जून को जिले के कई स्थानों पर मनाई गई। जिसमे वक्ताओं ने चहलारी नरेश महाराजा  बलभद्र सिंह की वीरता का बखान कर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किया।  मुख्य कार्यक्रम विकासखंड महसी के चहलारी घाट के निकट ग्राम रमवापुर में समाज सेवी डॉक्टर देवी प्रसाद तिवारी के आवास पर आयोजित किया गया।  कार्यक्रम आयोजक चहलारी नरेश उत्तराधिकारी आदित्य भान सिंह रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी डॉक्टर देवी प्रसाद तिवारी ने कहा कि चहलारी नरेश बलभद्र सिंह ने 1857 के आंदोलन की जो ज्वाला जगाई थी और अवध के सारे राजा महाराजाओं को एक कर बाराबंकी के ओबरी में जिस वीरता से अंग्रेजों और उनकी सेना को लोहे के चने चबवाये थे । उनकी वीरता की कहानी आज भी लोग याद करते है।  उन्होंने सर कटने के बाद भी 11 अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतारा था। उनके वीरता के किस्से अंग्रेज सेनापति ने अपनी पुस्तक द सिपाय वार  में विस्तार से वर्णन किया है।  कार्यक्रम में बोलते हुए चहलारी नरेश उत्तराधिकारी आदित्य भान सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से उनकी वीरता का वर्णन करते हुए कहा कि बलभद्र कय गाथा सब लंदन  मयहा गावत है । विलियम और होपग्रांट सब  आपन दैनंदनी सुनावत है । जो गोरन काट के तोप लिए उनकी तिरिया चुपवावत हैं धरि धीरज सोय रहव पुतवा नहि तौ बलभद्र आवत है। इस दौरान विमल तिवारी, लल्लन वाजपेई प्रधान, मुरारी सिंह, राजकुमार तिवारी, अजय शुक्ला, सुधीर, पहलवान अमृतलाल तिवारी, लल्लन यादव, संतोष कुमार, ज्ञान तिवारी सहित तमाम अन्य लोग मौजूद रहे । कार्यक्रम के उपरांत चहलारी नरेश उत्तराधिकारी आदित्य भान सिंह द्वारा जरूरतमंदों को अंग वस्त्र भी विस्तृत किए गए । वही  पयागपुर में  शेर ए अवध चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह के 184 वीं  जयंती सेनानी उत्तराधिकारी  तेज बहादुर सिंह उर्फ माशा बाबू  निवास पर मनाई गई । कांग्रेस नेता विनय सिंह  ने चहलारी नरेश के व्यक्तित्व एवं वीरगाथा पर चर्चा करते हुए उन्हें भावपूर्ण नमन किया। इस अवसर पर सेनानी उत्तराधिकारी माशा बाबू ने कहा कि बलभद्र सिंह जी का जन्म 10 जून 1840 ई को चहलारी रियासत के मुरौव्वा कोट में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीपाल सिंह तथा छोटे भाई का नाम छत्रपाल सिंह था। सत्रह वर्ष में उनका विवाह हो गया था। कांग्रेस नेता विनय सिंह ने कहा कि जब अवध मुक्ति सेना का गठन हुआ था।  तब चहलारी नरेश को किशोरावस्था में ही बेगम हज़रत महल ने विरजीस कदर से टीका लगवाकर राजतिलक कराया था।  उन्होंने टिकोरा मोड़ पर चहलारी नरेश की प्रतिमा लगाकर उसे चहलारी नरेश चौराहा के रूप में स्थापित करने की पुरज़ोर मांग की तथा चहलारी रेलवे बनाकर चहलारी नरेश के नाम से रेलवे स्टेशन स्थापित करने की भी मांग दोहराई। इस दौरान संचालक , इन्द्र कुमार यादव, ध्रुव राज सिंह ,रमेश चन्द्र मिश्र,  मोलहू राम बौद्ध, नसीम ,इदरीसी, अमर सिंह वर्मा सहित कई लोगों ने सम्बोधित किया।

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