कथा में गंधर्व विवाह का वर्णन
फखरपुर न्याय पंचायत बदरौली के अंतर्गत राजस्व गांव कंदौली में विगत कई दिनों से चल रही संगीत मय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के षस्टम दिवस कथा व्यास आचार्य रमेश चंद्र शास्त्री जी महाराज ने रुक्मणी श्री कृष्ण विवाह का वर्णन किया शास्त्री जी ने वैदिक सभी आठ विवाह में श्रेष्ठ गंधर्व विवाह का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि कुंदनपुर नाम का एक देश था जिसमें भीष्मक नाम के राजा राज करते थे जिनमें पांच पुत्र थे रुक्मी,रुक्मरथ ,रूक्मबाहु ,रुक्मकेश ,रुक्ममाली इन्हीं के साथ में एक बहन थी जिसका नाम रुक्मणी था जो स्वयं आदि शक्ति जगदंबा थी एक दिन पिता भीष्मक ने रुक्मणी को सहेलियों के साथ खेलते हुए देखा तो सोचा कि रुक्मणी विवाह योग हो गई है इसका विवाह करना चाहिए इसके लिए मन ही मन में राजा भीष्मक ने श्री कृष्ण का चयन किया लेकिन बड़ा बेटा रुक्मी ने इस विवाह का विरोध किया रुक्मी चाहता था कि रुक्मणी का विवाह चंदेरी नरेश दमघोष पुत्र शिशुपाल के साथ हो जिसका उसने टीका लग्न पत्रिका भेज दिया था विवाह का दिन निश्चित हो गया था शिशुपाल अपनी बारात लेकर कुंदनपुर की ओर चला रुक्मणी श्री कृष्ण के प्रेम करती थी इसलिए पूज्य पुरोहित को प्रेम पत्र देकर द्वारिका भेजा था भगवान श्री कृष्ण को पत्र मिलते ही कन्हैया रथ पर बैठकर कुंदनपुर जाते हैं और रुक्मणी को रथ पर बिठाकर द्वारिका पुरी लेकर आते हैं द्वारिकापुरी में पहुंचकर वैदिक रीति रिवाज के अनुसार रुक्मणी और श्री कृष्ण का विवाह संपन्न हुआ भजन गायक आशीष शुक्ला एवं संतोष यादव ने सुंदर-सुंदर भजन सुना कर लोगों को मंत्र मुक्त कर दिया मुख्यमन की भूमिका निभा रहे क्षत्रिय कुलभूषण सपत्नी नरसिंह बहादुर सिंह ने पूजा आरती के पश्चात कथा श्रवण किया इस अवसर पर रमेश सिंह, प्रमोद सिंह, अनूप, राकेश, विनय, अजय, राजेश कुमार ,कुलदीप ,उत्कर्ष, बृजेश, रवि ,आनंद, अभय ,ओम सिंह आदि उपस्थित रहे
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