Breaking





Nov 12, 2023

अनचाहे अंतराल रिलीज हुई


                 


  

         


राजकीय महाविद्यालय पिहानी हरदोई में तैनात समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा लिखित फिक्शन उपन्यास अनचाहे अंतराल दिवाली की पूर्व संध्या पर अमेजॉन पर रिलीज कर दिया गया। 

उपन्यास का ऑनलाइन विमोचन श्री सर्वजीत सिंह के द्वारा किया गया। श्री सर्वजीत सिंह लेखक के पिता हैं और उन्हें 1991 में राष्ट्रपति का कांस्य पदक भी मिल चुका है। डॉ. कौशलेंद्र विक्रम सिंह मूलतः बहराइच जनपद के विकासखंड हुजूरपुर के ग्राम शाहपुर के रहने वाले हैं। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि उनके पिता ही उनके आदर्श हैं, वह उन्हीं की तरह समाज सेवा को अपना परम कर्तव्य मानते हैं। वह किताबों और शिक्षा के द्वारा समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। अनचाहे अंतराल को रेडग्रेब प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। अनचाहे अंतराल उपन्यास लिव–इन रिलेशन में रहकर यू.पी.एस.सी. की तैयारी करने वाले एक जोड़े की प्रेम कहानी है। दया नारायण अग्निहोत्री और कात्यायनी मुखर्जी उपन्यास के केंद्रीय पात्र हैं। उनके संघर्षों को उपन्यासकार ने शब्द दिए हैं। यह उपन्यास सरकारी नौकरी के लिए जद्दोजहद करते युवाओं के संघर्ष की महागाथा है। उपन्यास में भावना बनाम बुद्धि और प्राप्त बनाम अप्राप्त के बीच द्वंद्व दिखाया गया है। आधुनिक जीवन में बढ़ रहे भौतिकतावाद और दिखावे के कारण लोग किस तरह अपनी मूल भावनाओं से कटते जा रहे हैं, यह दर्शाने का प्रयास किया गया है। उपन्यास में स्त्री-पुरुष के बीच दरकते रिश्ते, टूटते परिवार आदि की समस्या को भी उठाया गया है। उपन्यास का उद्देश्य यह दिखाना है कि हर व्यक्ति आधा-अधूरा है। पूर्णतः की तलाश व्यर्थ है। बहुत अधिक अच्छे की चाह में कई बार वे चीजें भी हाथ से फिसल जाती हैं, जो हमारे पास होती हैं। भौतिकतावाद की अंध दौड़ में व्यक्ति एक समय अकेला हो जाता है, तब उसे अपने रिश्तों की याद आती है। तब तक चीजें काफ़ी बिगड़ जाती हैं। उपन्यास लेखन में रोचकता प्रारंभ से अंत तक बनाई रखी गई है ताकि युवा पाठक उपन्यास का आनंद ले सकें। उपन्यास की साहित्यकता बनाए रखते हुए, इसे सहज और सरल हिन्दी में लिखा गया है ताकि उन युवाओं को भी हिन्दी की पुस्तकों से जोड़ा जा सके जो आजकल सोशल मीडिया की रील्स की दुनिया में व्यस्त हैं। युवाओं के लिए प्रेरक प्रसंग तथा स्वस्थ मनोरंजन भी है। 

       

                         डॉ. कौशलेंद्र विक्रम सिंह

                          लेखक/प्रोफेसर

           राजकीय महाविद्यालय पिहानी हरदोई

No comments: