सेनानी उत्तराधिकारियों ने उनके जीवन वृत्तांत और देश की आजादी में उनके योगदान पर की चर्चा
बहराइच। स्थानीय सेनानी भवन सभागार में शनिवार को देश के प्रथम शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद की 135वीं जयंती मनाई गई। सेनानी उत्तराधिकारियों ने उनके जीवन वृत्तांत और देश की आजादी में उनके योगदान पर चर्चा की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संरक्षक अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे और स्वतंत्रता आन्दोलन के जेलयात्री थे। भारतीय मुस्लिम विद्वान, कवि, लेखक और पत्रकार भी थे। वे महात्मा गांधी जी के विचारों के कट्टर समर्थक थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने। प्रदेश कार्यवा महामंत्री रमेश कुमार मिश्र ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन उन्ही के अध्यक्षता काल में सम्पादित हुआ, जो कि भारत की आजादी के आन्दोलन का महत्वपूर्ण बिंदु था। उन्हीं के प्रयास से देश में आईआईटी और आईआईएम की स्थापना हुई और विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के गठन में उनका अतुलनीय योगदान था। वे भारत रत्न से भी नवाजे गए। संगठन महामंत्री आदित्य भान सिंह ने कहा कि वे हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर रहे और वे उन नेताओं में थे जिन्होंने देश के बंटवारे का विरोध किया, इसलिए जिन्ना उन्हें नापसंद करते थे। अन्त में उपस्थित सभी उत्तराधिकारियों ने उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र निर्माण का संकल्प लिया, और कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई। कार्यक्रम में यदुनाथ प्रसाद यादव, विजय सोनी, रीता कुमारी, अजय सिंह सहित दर्जनों सेनानी उत्तराधिकारी उपस्थित रहे।
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