Breaking





Oct 12, 2023

84 कोसी परिक्रमा मार्ग से बाहर कर दिया गया राजापुर व जंबूतीर्थ

गोण्डा - अनेकों महत्त्वों से परिपूर्ण क्षेत्र के दो पौराणिक और धार्मिक स्थलों को 84 कोसी परिक्रमा से बाहर कर दिए जाने से धर्मावलंबियों में नाराजगी व्याप्त है। प्राचीन काल से चली आ रही 84 कोसी परिक्रमा में जम्मू तीर्थ नरायनपुर ललक विकासखंड करनैलगंज गोंडा रात्रि पड़ाव स्थल के रूप में प्रसिद्ध है इसी जम्मू तीर्थ को अयोध्या का चौथा पश्चिम द्वार भी कहा जाता है जिसका संभव नाम बैजयंतद्वार था इसी द्वार से शत्रुघ्न सहित राजकुमार भरत जब मातुलालय (मामा के घर) गिरिब्रज नगर से जब अयोध्या में आए थे तब इसी द्वार से प्रविष्ट हुए थे यथा_
 इसी धार्मिक एवं पौराणिक स्थल सरयू के तट पर महर्षि अगस्त मुनि एवं महर्षि तुंदिलामुनि ने आकर तपस्या की थी जिसके प्रतीक के रूप में प्राचीन काल से स्थापित शिलालेख पत्थर आज भी मौजूद हैं सन1902मे ब्रिटिश काल में तत्कालीन अंग्रेजी अधिकारी आरसी हरबर्ट द्वारा अयोध्या में एक समिति बनाई गई जिसमें पौराणिक अयोध्या की सीमा का सीमांकन किया गया जिसमें 148 शीलालेख लगवाए गए जिसमें तीन शिलालेख जम्मू तीर्थ पर लगाए गए जो आज भी उक्त स्थल पर है,उक्त स्थान पर श्री राम जानकी मंदिर शिव मंदिर एवं हनुमानगढ़ी मंदिर बना हुआ है धार्मिक एवं पौराणिक महत्व को देखते हुए इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए लेकिन सरकार के द्वारा जो 84 कोसी परिक्रमा मार्ग का जो मानचित्र प्रदर्शित किया गया जा रहा है उसमें जम्मू तीर्थ व गोस्वामी तुलसीदास जन्मभूमि राजापुर बाहर कर दिया गया है,इससे नाराज स्थानीय ग्रामीणों और धर्मावबियों का कहना है कि यदि उक्त दोनों स्थलों जंबूतीर्थ और गोस्वामी तुलसीदास जन्मभूमि राजापुर 84 कोसी मार्ग में नहीं जोड़ा गया तो यह स्थान अपेक्षित एवं महत्वहीन हो जायेगा जो सरकार के मंशा के विपरीत होगा 
सरकार के मंशा के अनुरूप धार्मिक एवं पौराणिक स्थलों के महत्व और प्राचीन धरोहरों को सुरक्षित एवं विकसित करने का जो जनहित में उद्देश्य है वह विफल साबित होगा।

No comments: