‘सेवा प्रदायगी जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा’ अंतर्गत बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में मेगा पुरुष नसबंदी कैंप आज,
बहराइच के एनएसवी प्रशिक्षित सर्जन डॉ अनिल कुमार देंगे सेवा, एसीएमओ ने इच्छुक लोगों से की लाभ लेने की अपील।
गोंडा, 24 जुलाई - 2023 ।।
समुदाय में जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रति जागरूकता फैलाने, परिवार नियोजन कार्यक्रम अन्तर्गत उपलब्ध सेवाओं की जानकारी पहुंचाने तथा योग्य एवं इच्छुक दम्पतियों को सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से जिले में ‘सेवा प्रदायगी जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा’ मनाया जा रहा है। 31 जुलाई तक मनाए जाने वाले इस पखवाड़े के तहत मंगलवार 25 जुलाई को बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में ‘मेगा पुरुष नसबंदी कैंप’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें बहराइच जिले के पुरुष नसबंदी (एनएसवी) प्रशिक्षित सर्जन डॉ अनिल कुमार द्वारा प्रातः 10 बजे से शाम 05 बजे तक लोगों को नसबंदी की सेवा दी जायेगी।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी / परिवार कल्याण सेवाओं के नोडल डॉ आदित्य वर्मा ने बताया कि ‘आजादी के अमृत महोत्सव में हम लें ये संकल्प, परिवार नियोजन को बनाएंगे खुशियों का विकल्प’ थीम के साथ जनपद के समस्त ब्लाकों में ‘विश्व जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा मनाया जा रहा है।पखवाड़े के सफल आयोजन के लिए सभी सीएचसी / पीएचसी तथा हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटरों पर परिवार नियोजन के अस्थायी साधन जैसे- आईयूसीडी, त्रैमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा, साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया, माला-एन व कंडोम इत्यादि साधन उपलब्ध कराए गए हैं, ताकि इच्छुक लाभार्थी अपने नजदीकी स्वास्थ्य इकाई से मनचाहे सेवा का लाभ ले सकें।
पुरुष नसबंदी को लेकर हैं गलत भ्रांतियां
डॉ आदित्य वर्मा का कहना है कि पुरुष नसबंदी के बाद कमजोर होने का डर एक भ्रांति है। पुरुष नसबंदी से न ही कमजोरी उत्पन्न होती है और न ही शारीरिक दुर्बलता आती है। इससे कामकाज पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जिनका परिवार पूरा हो चुका है, वह और बच्चे नहीं चाहते हैं तथा परिवार नियोजन का कोई स्थायी साधन अपनाना चाह रहे हैं, तो पुरुष नसबंदी उनके लिए सरल और आसान विकल्प है। यह महिला नसबंदी के मुकाबले बहुत ही सरल और सुरक्षित है। इस पूरी प्रक्रिया में 10 से 15 मिनट का समय लगता है।यह एक मामूली ऑपरेशन है, जिसमें कोई चीर-फाड़ नहीं की जाती और न ही कोई टांका लगाया जाता है। नसबंदी के एक घंटे बाद आदमी घर जा सकता है और 72 घंटे बाद अपना रोजमर्रा का कामकाज आम दिनों की तरह कर सकता है। बशर्ते नसबंदी के समय लाभार्थी की उम्र 60 साल से कम होनी चाहिए। वह शादीशुदा होना चाहिए और उसके दो बच्चे होना जरूरी है।
गलत धारणाओं को दूर करने की अपील
सीएमओ डॉ रश्मि वर्मा ने आमजन से अपील किया कि पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में फैली गलत धारणाओं को दूर करने की जरूरत है, इसलिए छोटा परिवार-सुखी परिवार की धारणा को साकार करने के लिए पुरुषों को आगे बढ़ कर जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
मिलती है प्रोत्साहन राशि
जिला परिवार नियोजन एवं सामग्री प्रबंधक सलाहुद्दीन लारी ने बताया कि गोंडा जिला मिशन परिवार विकास में शामिल है, इसलिए पुरुषों को नसबंदी करवाने पर 3,000 रुपये और प्रेरक को 400 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाने का प्रावधान है। वरिष्ठ जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ का कहना है कि दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखना माँ-बच्चे के स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए बहुत जरूरी है। जब परिवार पूरा हो जाए, तो स्थायी साधन के रूप में नसबंदी अपना सकते हैं।
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