22 वर्ष की उम्र में खांसी-बुखार से परेशान सीएचसी हर्रैया अंतर्गत बनकटवा जोत कन्हई निवासी शिवधारी वर्मा इलाज के लिए मजबूर हो गए। इस मुश्किल वक्त में उनके परिवार वालों ने पूरा साथ दिया और इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी ड्यूटी निभाई और बलगम की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर एक्स-रे कराया और उसमें भी स्पष्ट रिपोर्ट न आने पर सीटी स्कैन कराया।
खुद स्वस्थ हुए तो जागरूक करने की ठानी।
रिपोर्ट पाजिटिव आने पर इलाज में भरपूर मदद की। 6 माह के इलाज में वह स्वस्थ हो गए। बीमारी के दौरान उन्होंने ठान लिया कि अब वह भी टीबी मरीजों के सच्चे मददगार बनेंगे। उनका कहना है कि उस समय सप्ताह में तीन दिन अस्पताल में ही बुलाकर दवा खिलाई जाती थी। नियमित रूप से अस्पताल आने के कारण मरीजों से हुई बातचीत में उन मरीजों का दर्द करीब से समझा। सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) अजय श्रीवास्तव, एसटीएलएस रामजी बाबू से इस पर चर्चा होती रहती थी। उनकी बातों से प्रभावित होकर अभियान से जुड़ने का निर्णय लिया। शिवधारी वर्मा ने बताया कि मलिन बस्तियों में टीबी के लक्षण वाले लोग अक्सर मिल जाते हैं। ऐसे लोग अप्रशिक्षित डाक्टर के चक्कर में पड़कर केस खराब कर लेते हैं। वहां टीबी के प्रति जागरूकता पर काम करने की ज्यादा जरूरत है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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