गोंडा-समुदाय में परिवार नियोजन सेवाओं की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है | प्रयासों की इसी कड़ी में 18 से 31 जनवरी तक जिले में संचालित उपकेन्द्रों / हेल्थ वेलनेस सेंटरों पर सास-बेटा-बहू सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई गयी है | इसका उद्देश्य सास और बहू के मध्य समन्वय और संवाद बेहतर कर प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति पुरानी सोच, उनके व्यवहार एवं विश्वास में बदलाव लाना है | परिवार के सभी निर्णयों में पुरुषों की सहमति सर्वोपरि होने के चलते सास-बहू सम्मेलन में बेटे का प्रतिभाग किया जाना आवश्यक मानते हुए यह सम्मलेन सास-बेटा-बहू सम्मेलन के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने बताया कि जनपद के समस्त सामुदायिक / प्राथमिक व नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक व प्रभारी चिकित्साधिकारियों को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया गया है कि वह अपने स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर माइक्रोप्लान तैयार कर 16 जनवरी तक जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (एनएचएम) को उपलब्ध करा दें | उन्होंने बताया कि सम्मलेन का आयोजन अधीक्षक व प्रभारी चिकित्साधिकारी के निर्देशन में आशा कार्यकर्ता और एएनएम संयुक्त रूप से उपकेंद्र पर करेंगी | जिन उपकेंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में परिवर्तित किया गया हैं, वहां तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) भी इस आयोजन में सहयोग करेंगे |
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ एपी सिंह ने बताया कि मिशन परिवार विकास कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2017-18 से आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से उपकेंद्र स्तर पर सास बहू सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है | उन्होंने बताया कि सम्मेलन में एक वर्ष के दौरान नव विवाहित दंपत्ति, एक वर्ष के अंदर चिन्हित उच्च जोखिम वाली गर्भवती, परिवार नियोजन का कोई साधन नहीं अपनाने वाले दंपत्ति, तीन या उससे ज्यादा बच्चों वाले दंपत्ति तथा आदर्श दंपत्ति (ऐसे दंपत्ति जिनका विवाह से 02 वर्ष बाद बच्चा हुआ हो, जिनके पहले बच्चे से दूसरे बच्चे में कम से कम 03 वर्ष का अन्तराल हो या दंपत्ति ने दो बच्चों के बाद स्थायी साधन अपनाया हो) प्रतिभाग करेंगे और लोगों के बीच अपने अनुभव साझा करेंगे |
फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजर सलाहुद्दीन लारी ने बताया कि सास-बेटा-बहू सम्मेलन में बेटों की भागीदारी अधिक से अधिक हो, इसके लिए प्रयास किया जाएगा | हर सम्मेलन में अधिक से अधिक प्रतिभागी हों, दो-तीन आशा कार्यकर्ता मिलकर सम्मेलन का आयोजन कर सकती हैं | सम्मेलन के पूर्व आशा समुदाय को जागरुक करने का कार्य करेंगी | वहीं टीएसयू के वरिष्ठ जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने कहा कि सम्मेलन में 14 से 16 प्रतिभागी हों, इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा |
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