Apr 5, 2025

राणा सांगा का अपमान असहनीय - माधवराज सिंह

गोण्डा - स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारियों एवं परिजनों  सर्वमान्य है कि विदेशी गुलामी के प्रारंभ से 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम  तक भारत की स्वातंत्र्य चेतना व स्वाभिमान की रक्षा में तमाम महापुरुषों ने अपने गर्म खून से भारत की धरती को सिचा है देश की स्वतंत्रता की पौध उगाई और रोपा है उनमें सबसे अधिक संख्या जिन क्षत्रिय पुरखो  की रही है उनमें महाराणा सांगा शिरोमणि  है उनकी उपेक्षा अपमान देश के लिए  असहनीय है स्वतन्त्रता , लोकतंत्र, संविधान से उपजे कुछ राजनेता वंदनीय और निंदनीय चरित्र में भेद नही कर पाते तो कुछ राजनेता इतिहास के पन्ने ना उलटने की राय देकर यथा स्थिति बनाए रखने के पक्षपाती है,देशघाटी है स्वतंत्रता मिलने के बाद स्वदेशी सत्ता धारीयो के इसी मानसिकता के चलते देश आजादी अमृत महोत्सव बीत जाने पर भी देश अधिकृत रूप से सत्तावनी संग्राम का उद्भव, व्यापकता ,संघर्ष , परिणाम , संदेश और देशवासियों पर पड़े प्रभाव को लोकमानस के समक्ष नहीं ला सका देश की स्वतंत्रता की जन्मदाता सत्तावनी संग्राम गाथा  देश के निकट भूत की गौरव गाथा है , जिसे श्रेय लूट की होङ मे टुकड़े-टुकड़े परोसने और संज्ञान लेने से वास्तविक गौरव गाथा गुमनामी मे दफन कर दी गई संकट की घड़ी आते ही सत्तावनी संग्राम की यादगारी और सच्चाई जानने की उत्सुकता जाग उठती है । 
ब्रिटिश सत्ता युद्ध संवाददाता मिस्टर लॉर्ड विलियम रसल और श्री विनायक दामोदर सावरकर जी , अमृतलाल नागर जी , दामोदर लाल गर्ग राजस्थान वाले के अनुसार प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की सारी महत्वपूर्ण घटनाएं अयोध्या और दोआब के पुरखे द्वारा गोंडा नरेश देवी बख्श सिंह के नेतृत्व में संपन्न हुई इतिहास की समीक्षा कर देश के स्वतंत्रता संग्राम में अयोध्या और दोआब के पुरखो द्वारा लड़े गए तीन वर्षीय युद्ध को राष्ट्रीय लोक मानस के समक्ष लाया जाना अत्यंत जरूरी है साथ ही सत्तावनी संग्राम में किसकी कितनी भागीदारी देश के संसाधनों पर किसको कितना हिस्सा जारी है उसकी समीक्षा होनी चाहिए।

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