Apr 10, 2025

भारतीय संस्कृति की यह कला हो रही गायब

 


करनैलगंज/गोण्डा - खुशी,ललकार, युद्ध तथा भारतीय लोक संस्कृति और सनातन धर्म में अपनी अलग पहचान रखने वाला वाद्य यंत्र नगाड़ा अब अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच चुका है। वहीं सिख समाज में नगाड़े का प्रचलन  छठवें गुरु साहिब श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी से माना जाता है । इसको सबसे ज्यादा प्रयोग में गुरु गोविंद सिंह महाराज जी के समय में लाया गया। उन्होंने रंजीत नगाड़ा स्थापित किया जिसको रण में जीत के बाद बजाया जाता था। गुरु गोविंद सिंह महाराज जी ने अपने योद्धाओं को प्रोत्साहित एवं उत्साह को  जगाने के लिए विभिन्न प्रोग्राम में नगाड़े का प्रयोग किया जाता था। आजकल सिखों के पांचो तख्तों साहिबो के गुरुद्वारों में सुबह एवं शाम दोनों समय बजाया जाता है। यह सिखों में जोश भरने एवं सत्संग में आने के लिए प्रेरित करता है। इस वाद्य यंत्र की बानगी अब यदा कदा देव स्थलों पर देखने को मिलती है। 

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