अध्यक्षता कर रहे डाॅ० असलम हाशमी ने कहा - देखने में जो नज़र आते हैं बेहतर चेहरे-
नाग बनकर वही डस लेते हैं अक्सर चेहरे।
आमिल अंसारी गोंडवी ने ज़ोर देकर कहा - नफ़रत की फज़ाओं से मायूस न हो आमिल-
रोशन इसी नफ़रत में उल्फत का दिया कीजे।
नज्मी कमाल खां ने उर्दू ज़बान पर कहा - यक़ीनन है कुछ बात उर्दू जबां में-
यूं ही एक दुनियां दिवानी नही है।
डाॅ० आफताब आलम ने बेटी की अहमियत बताई - जाते ही उनके घर से रहमत चली गई-
जो ये समझ रहे थे बेटी है घर का बोझ।
अजय श्रीवास्तव ने यह पैगाम दिया - झुक कर मिला जो दोस्त नही दुश्मनों से भी-
कद उसका और बढ़ गया छोटा नही हुआ।
मुबीन मंसूरी ने देश को समर्पित किया- ज़मीं यह कृष्ण की, गौतम की है, चिश्ती व नानक की-
जो आशिक इनके हैं हिंदोस्तां से प्यार करते हैं।
अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा - करूंगा ले के क्या दुनिया की दौलत-
मुझे जितना मिला उतना बहुत है।
यासीन राजू दुर्रानी ने सलाह दिया -
गर चाहते हैं रहमते रब आप पर भी हो,
नफरत कभी न करना किसी भी गरीब से।
मेज़बान इमरान मसूदी ने महबूब से कहा -
आप सामने जब तक रहते हो निगाहों के,
दिल में फिर कोई भी ग़म देर तक नहीं रहता ।
अलहाज गोंडवी ने मक्कारी व धोखा पर कहा -
अल्लाह दूर रक्खे कि मकरों फरेब ने,
किरदार आदमी का संवरने नहीं दिया। साथ ही मुजीब सिद्दीकी, वीरेंद्र तिवारी 'बेतुक' , कौसर सलमानी, रशीद माचिस, निजामुद्दीन शम्स ने कलाम पेश किये। गोष्ठी में प्रसिद्ध शाएर-गीतकार शकील बढ़ौलवी, वरिष्ठ शाएर तक़ी शब्बीर नुमा रुदौलवी और आरिफ नगरामी के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। इस अवसर पर इरफान सभासद, डाॅ० आफताब खान, अब्दुल वाहिद, सोनू श्रीवास्तव, फरीद, आसिफ़, मास्टर इखलाक़, मेराजुद्दीन, अनस, इमरान, शारिक़, आजाद, साहिल, मुस्लिम, शहंशाह सहित अन्य उपस्थित रहे। मुहम्मद शकील ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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