Dec 16, 2024

कम बोलतीं हैं पर सच बोलतीं डी. एम. के तो अपने हुनर बोलते हैं

कम बोलतीं हैं पर सच बोलतीं डी. एम. के तो अपने हुनर बोलते हैं!

बहराइच।  वर्ष 2024 विदाई के अंतिम सोपान की दहलीज पर है। यह बरस जाते-जाते किसी को करुणा के सागर में  सन्नपात का गोताखोरी कराया। तो किसी को प्रेम के पुलकित पालने में झुलाया। बीते बरस का सिंहावलोकन इस बात ध्रुव साक्षी है की कुछ अपने लछ्य में अटके लटके तो कुछ सामाजिक सफर में विजय श्री का परचम लहराकर जन-जन के मन के अद्वितीय दुलारे बने। इन्हीं सफलता के श्रृंखला में शुमार हुई एक चिरपरिचित शख्सियत छत्रप हैं डी. एम. मोनिका रानी। लाख दुश्वारियां उलट परिस्थितिया इनके लोक हितार्थ काम को किंचित मात्र भर के लिए भी नहीं रोक सकी। झमेलों और झंझावातों के बीच डी. एम. मोनिका रानी शासन सरकार के मंसूबों को बड़ी शिद्दत से निर्बाध गति से अमली जामा पहनाने में सफल रहीं । उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति इनके पथ प्रदर्शक की अचूक तथा अभेद कवच जो थी। वार्षिक सिंहा वलोकन से इनके जन विकाश आंदोलन की लहर उठती है। जनपद में नित नवीन परिवर्तन का श्रेय इन्हीं पर जाता है जन हितार्थ की बंदोबस्त के फलस्यरूप में नए वर्ग संबंधों की सृष्टि हुई। आत्म चेतस को समाष्टि चेतक में   संक्रात किया। जन-जन के नवजागरण ने उनका साथ दिया। जन कल्याणार्थ और शासकीय दायित्व दोनों के अपूर्ण संतुलन और उद्देलन बनाए रखा। जितनी ऊर्जा उससे ज्यादा सजगता तथा आकांक्षा में स्वप्निल बल्कि सौंदर्यात्मक   जान पड़ने लगती है। मोनिका रानी के कार्य- संगठन क्षमता कलात्मक दक्षता और अंतर्दृष्टि का प्रमाण के साथ क्षमता का एक विशिष्ट उदाहरण है जो प्रथम सोपान में ही स्वागत योग्य है।

 डीएम साहिबा के द्वारा लोक कल्याण में लिए जाने वाले निर्णय की तार तम्मयता वह सामान्य कौतूहल तक सीमित नहीं रह जाते हैं।ऐसा दिखता है कि. "मोर  इज मेन्ट मीट्स द आई " तस्वीर निराली और साफ कि शासन की मंशा को धरातल पर परवान चढ़ाने के मामले में आमजन मानस को तनिक सा उलझन नहीं रखता। जनमानस के प्रति इतना लगाव या सरोकार, सहानुभूति तथा प्रतिबद्धता जो भी कहें बिल्कुल दर्पण जैसा साफ।यथार्थ चेतना ही इनकी मूल शक्ति है जो सामूहिक मानव कल्याण के पथ को प्रशस्त करने के साधन के रूप में किया गया। मोनिका रानी लोक हित कार्य की अपनी आँख में आलोक की स्थिति यह है कि वह सौ - सौ सूर्यो के तीव्रतम प्रकाश को भी ग्रहण कर सकता है। बीते बरस में कदाचित जन निराशा के बीच डी. एम. मोनिका रानी के अभिसिंचित प्रयासों से लोक हितार्थ योजनाओं को लछित्त मुकाम पर पहुंचाकर जन मानस का भरोसा जीता। जन मानस को समर्पित योजनाए डी. एम. मोनिका रानी के पूर्णाहुति की ऎसी अनुपम संगम कि ओढ़नीँ ओढ़तीं है तो ऐसा लगता है कि मरू स्थल में हरीतिमा की तरह आपेछित सरसरता लहराने लगती है, जो दहकते यथार्थ का समर्थन करता है।

बॉक्स 1

भेड़िया आगाज को दिया अंतिम अंजाम 

जब याद करेंगे 24 की बात। तो महसी तहसील के बाशिंदो के जेहन में तो निःसंदेह आक्रांता भेड़ियों के कारनामों की डरावनी स्मृतियाँ उकर आएँगीं। शायद ही किसी से छिपा हो कि बहराइच के नरभक्षी वीडियो की दास्तान जो देश-विदेश की टीवी चैनलों और अखबारों में महीनों सुर्खियों का सबक बटोरती रही। महसी विधायक ने जनार्दन की रक्षा में स्वयं रायफल को उठाना पड़ा। सुबह के ओजस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्वयं आगे जाकर जनता को भेड़ियों के आक्रांत से मुक्ति दिलाने का वादा करना पड़ा। मुट्ठी भर के नरभक्षी भेड़ियों के झुंड ने पूरे प्रशासन और प्रदेश सरकार को हिला कर रख दिया। वन विभाग के बड़े-बड़े पिंजरे लगाकर भेड़ियों के कुनबों के झुंडों की रैकी करते रहे। भेड़ियेँ इनसे भी आगे निकले।क

 रिजल्ट  सिफ़र के इर्द गिर्द घूमता रहा।

 देश प्रदेश के नामी ग्रामीण सूत्रों को भेड़िए से लोहा लेने हेतु जंग में कूदना पड़ा। प्रदेश के आला अफसरो तथा मंत्री गणो की आमद दर्फत आम हो गई थी। भेड़िए के हमले को लेकर क्षेत्र में असंतोष और आक्रोश के साथ गुस्से का माहौल ज्यादा हो गया था। इस सबके बीच हसरत भरी जैन निगाहें डी. एम. मोनिका रानी पर ठहरी हुई थी। वीरांगना मोनिका रानी कोलंबस जैसी इच्छा शक्ति में अपने पैरों को चेतक जैसाअथकित रफ्तार दिया। जनता को वीडियो से सुरक्षित करने में इस तरह तल्लीन हुई कि  उन्हें यह  भी पता नहीं चला कि कब रात हुईऔर कब दिन। जिलाधिकारी मोनिका रानी भेड़ियों के संवेदनशील अखाड़ों में सीमित लाव लश्कर के साथअपने जान को जोखिम में डालकर पग माप करती रहीं। वह पल-पल की खबर सी. एम. सहित शासन को अपडेट करती रही। जनमानस अपनी सुरक्षा को लेकर मचे हाहाकार की स्थिति में हताश वह निराश ना हो इसके लिए उन्होंने अपने सैकड़ो राजस्व कर्मियों की फौज रात्रि गस्ती में उतार दिया। प्रभावित क्षेत्रों में जिन घरों में दरवाजे नहीं थे सुरक्षा की दृष्टिकोण से तत्काल दरवाजे लगाए गए। शौचालय हेतु  मुकम्मल व्यवस्था की गई। जिन क्षेत्रों में घरों में प्रकाश की व्यवस्था नहीं थी वहां प्रकाश व्यवस्था के रूप में सोलर ऊर्जा की व्यवस्था की गई। यह सब डी. एम. मोनिका रानी के तत्क्षण प्रयासों से ही संभव हो पाया। महीना चला भेड़ियों के झुंडों से आंख मिचोली का खेल डीएम के सतत प्रयासों से अंततः विराम ले ही लिया। क्षेत्र भेड़ियों के आतंक से मुक्त हुआ। जनता भय मुक्त हुई। जब जब लोग अंकुरंता भेद की याद करेंगे तो निश्चित रूप से जन-जन के बीच दम मोनिका रानी का गंभीर एवं मुस्कुराता कभी चिंतातुर छबि लोगों के मानस पटल पर पुलकित हिलोरें लेने लगेंगीं।

बॉक्स 2

डी. एम. नें बाढ़ की त्रासदी में न भूखे को रोने दिया न भूखे पेट सोने दिया 

 जब बात हो बीती बरस की और बाढ़ की याद न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। बाढ़ की यादगारी में डी. एम. मोनिका रानी की मददगारी के  समायोजन  उपरांत ही संदर्भ का समापन होता है। बीते बरस में नेपाल की पहाड़ियों पर अतिशय बारिश भीषण बाढ़ के आगमन का कारण बना। अतिशयवाद की कारण बहराइच में सरजू घाघरा समेत कई अन्य सहायक नदियों की बाढ़ के उल्का पात से नानपारा, महसी, कैसरगंज, मोती पुर तहसीलों के अधिकांश भूभाग जल पल्लवित हो गए। इस अप्रत्यसिक अनुमान की विपरीत आई भीषण बाढ़ से लोग घरों में फंस गए। लोगों ने खुले चो पर तो आशियाना बना लिया लेकिन खाना और शुद्ध जल आपूर्ति उनकेजीवन के लिए विषम बाधक बन गई। ऐसी हालत में जिला अधिकारी मोनिका रानी ने दैवीय आपदा से बाढ़ से जूझने के लिए स्वयं कमान संभाल  लिया। बाढ़ सी गिरी ग्रामीणों के लिए उन्होंने नौकाओं की बौछार कर दिया। फांसी हुई लोगों की खान-पान के लिए लंच पैकेट बच्चों के लिए दूध शुद्ध जल आपूर्ति आज इमदाद के मुंह का पिटारा खोल दिया। प्रभावित क्षेत्रों में जगह-जगह हजारों लंगर लग गए। वह स्वयं ऐसे क्षेत्र का तूफानी धुआंधार दौरा कर हालातो पर नजर रखकर मातहतो आवश्यक  निर्देश तत्पश्चात समीक्षा करती रही। इस वृहद दैवीय आपदा में ना तो कोई भूखा पेट रोया य और ना ही कोई भूखा पेट सोया। बाढ़ आई गई लेकिन डी. एम. मोनिका रानी के फ़ौरी धरातलीय मानवीय एक्शन ने उन्हें हर दिल अजीज के साथ-साथ हीरो बना दिया।

बॉक्स 3 

  बच्चों का एक डी. एम. मेम फ़िर कब आओगी!

शिक्षा  देश की उन्नति के लिए ठीक रीढ की हड्डी के समान होते है।

 जिसके आशिक ध्वन्सा वशेष से जीवन का उद्देश्य अधूरा रह जाता है। सो मोनिका रानी ने इन आयामी   उद्देश्यों के शत प्रतिशत पूर्ति के लिए अपने निगेह वानी में लिया। डी. एम. मोनिका रानी डीएमके पद धारण से पूर्व एक  शिक्षका  थी. उनको शिक्षा के मर्म, मायने  और गुरुजनों के धर्म के बारे में बताना सूरज को दिया दिखाना सारीखा ही होगा।श्रीमती मोनिका रानी नें अपने कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत ही विशेष कर प्राथमिक एवं जूनियर हाई स्कूल स्तर के विद्यालयों का धुआंधार  निरीक्षण करना शुरू कर दिया।विद्यालयों में अध्यनरतनन्हे मुन्ने छात्राओं का ब्रेन मैपिंग भी किया।  इन निरीक्षण  के दौरान मोनिका रानी को एक बार नहींअपितु बार-बार एक  देखा गया जो एक समर्पित गुरुजन की भांति बच्चों के बीच पाठ्यक्रम पर बात चीत कर दुलार प्यार व्यवहार साझा किया जिससे बच्चों के अबोध छवि पटल पर छाप पड़ी उससे बच्चे नई मेम से अविभूत हो गए। नौनीहालो के मन  में इस असीम प्यार में बच्चों को शायद यही लगा कि स्कूल में कोई नई टीचर मेम  आई है। बाद में गुरुजनो नें बताया कि जिले कि डी. एम. साहिबा आई थीं.डीएमके सौम्य प्रखर भाषा का उपदेश गुरजनों के अंतर मन में एक नवीन ऊर्जा का संचार किया.जिन्हे उन्हें उनकी गुरुजन  होने की एक नवीन धर्म जिज्ञासा अपने कर्तव्य बोधों की ओर आकर्षित कराई। शिक्षा स्तर में पर पर लग गए हैं। 

बॉक्स 4

 वृद्ध वृद्धा और विधवाओं को नहीं लगाने पड़ते हैं अब मुख्यालय के चक्कर 

जनपद के दूर दराज और दुर्गम क्षेत्रों से अपने हक  हकूक के लिए वृद्ध - वृद्धा और विधवाओं को पेंशन पाने के लिए  जिला मुख्यालय पर दौड़ लगानी पड़ती थी। दलालों के माध्यम से ही इनकी सुनवाई होती थी। योजना लाभ में काम के बदले दलाल इसे अधिकारीयों और बाबुओ के लिए नाम पर मन माफीक दाम वसूला जाता था। चाहे समाज कल्याण विभाग हो या प्रोवेशनल कार्यालय या अन्य कार्यालय के इर्द-गिर्द पा त्र जरूरतमंदों की जमात देखी जाती थी। हालांकि सारी व्यवस्था ऑनलाइन होने के बावजूद लोग भी लंबी दूरी का पग माप कर कहीं यहाँ से नाम न कट जाय. बढ़ जाय. काम जल्दी हो जाय यहां आते थे।लेकिन जब मोनिका रानी ने इन कार्यलयो का औचक निरीक्षण  कियाजाने लगा और  यहाँ मिलने वाले संदिग्धतो के विरुद्ध शुरू हुईं कार्यवाही से हड़कंप मच गया।डी. एम. के सकती से  सब कुछ सही ढंर्रे पर आ गया। अब पात्रों को आवश्यक लंबी पग माप दूरी तय करने और दलालों के   चक्कर  के मक्कर से निजात मिल गया।


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