गोण्डा - अमर शहीद राजेंद्र लाहिड़ी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। जानिए अमर शहीद राजेंद्र लाहिड़ी का बलिदानी जीवन
प्रारंभिक जीवन
राजेंद्र लाहिड़ी का जन्म 23 मई 1901 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री गोविंद लाहिड़ी था। राजेंद्र लाहिड़ी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की और बाद में काशी विद्यापीठ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
राजेंद्र लाहिड़ी ने अपने जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित किया। वह महात्मा गांधी के अनुयायी थे और उन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में कई आंदोलनों में भाग लिया। उन्होंने 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और बाद में 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लिया।
शहीदी
राजेंद्र लाहिड़ी को 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें संदिग्ध क्रांतिकारी गतिविधियों के आरोप में जेल में डाला गया था। जेल में उन्हें यातनाएं दी गईं और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इसके बावजूद, राजेंद्र लाहिड़ी ने अपने आदर्शों और सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। अंततः, 17 दिसंबर 1928 को गोण्डा जेल में उन्हें फांसी दे दी गई।
विरासत
राजेंद्र लाहिड़ी की शहीदी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उनकी मृत्यु ने देश भर में आक्रोश और विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। आज, राजेंद्र लाहिड़ी को भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। उनकी विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत है और उनकी शहीदी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। अमर शहीद राजेंद्र लाहिड़ी के 98 वें बलिदान दिवस पर कमिश्नर, डीआईजी, डीएम तथा एसपी सहित अन्य तमाम लोगों द्वारा नमन किया गया। अमर शहीद राजेंद्र लाहिड़ी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
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