Dec 10, 2024

इस गांव के दर्जनों मुस्लिम परिवारों ने माना कि उनके पूर्वज हिन्दू थे


लखनऊ - उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद अन्तर्गत डेहरी गांव के करीब 36 मुसलमानों ने अपने पूर्वजों की विरासत को सजीवता देते हुए अपने नाम के आगे हिंदू सरनेम लगा लिया है। उनका मानना है कि उनके पूर्वज ब्राह्मण और क्षत्रिय थे और आज से करीब सात- आठ पीढ़ी पूर्व उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था। अपनी जड़ों और मूल पहचान से जुड़ने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है। उनके भीतर इस चेतना को जगाने में विशाल भारत संस्थान का विशेष योगदान है। गांव में रहने वाले  नौशाद अहमद अब नौशाद अहमद दुबे के नाम से जाने जा रहे हैं। हालांकि उनके दोस्त वर्षों से उन्हें पंडित जी कहकर पुकारते हैं। कुछ महीने पूर्व उन्होंने अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला वे ब्राह्मण थे। गांव के शेख अब्दुला ने भी अपने नाम के आगे दूबे जोड़ लिया है। कुछ महीने पहले असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) लाया गया तो उन्होंने अपने परिवार का इतिहास खंगालना शुरू किया, तब पता चला कि उनके पूर्वज आजमगढ़ के मंगरावा गांव के हिंदू थे जो बाद में डेहरी गांव आकर बस गए थे। इसके बाद उन्होंने भी अपने नाम के आगे दूबे जोड़ लिया। अब इन परिवारों का कहना है कि उन्हें अपनी जड़ों पर गर्व है तथा इस पहल से गांव में आपसी सौहार्द और एकता को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। जानकारी के मुताबिक डेहरी गांव की आबादी पांच हजार है तथा लगभग तीन हजार मुस्लिम परिवार रहते हैं। गांव के नौशाद अहमद दूबे ने बताया कि विगत दो वर्षों से वह अपने नाम के आगे दूबे लिख रहे हैं। उनके मुताबिक विशाल भारत संस्थान के राजीव गुरुजी का इसमें विशेष योगदान रहा है, उनकी प्रेरणा से हमने अपने पूर्वजों से जुड़ने का निर्णय लिया। बताया गया कि गांव के 36 मुस्लिमों ने अपने नाम के आगे हिंदू सरनेम जोड लिया यह भी बताया गया कि आजमगढ़ में 100 से अधिक लोग हैं जो अपने नाम के आगे हिंदू सरनेम लिख रहे हैं। वह लोग गाय भी पालते हैं और गोसेवा करते हैं। जब यह जानने का प्रयास किया गया कि हिंदू सरनेम से बच्चों के शादी विवाह में दिक्कत तो नही आयेगी, इस सवाल पर नौशाद कहते हैं कि ऐसा कुछ नही होगा। गांव के लोग अब शादी में हिन्दू सरनेम वाला कार्ड भी छपवाने लगे हैं।

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