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Sep 5, 2024

सौभाग्य प्राप्ति हेतु हरितालिका तीज का व्रत

 सौभाग्य प्राप्ति हेतु हरितालिका तीज का व्रत


आचार्य रमेश चंद्र शास्त्री 

   भारत हमेशा से व्रत एवं त्योहारो का देश माना जाता है हमारे देश में नाना प्रकार के त्योहारों को बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया जाता है इनमें से एक बड़ा ही प्यारा सुहागिन स्त्रियों एवं कन्याओं के लिए हरतालिका तीज का व्रत है हरितालिका तीज का महत्व बहुत ही खास माना जाता है इस व्रत को सुहागन महिलाएं अपने पति की  लंबी आयु की कामना के साथ परिवार के सदस्यों की उत्तम स्वास्थ्य की कामना करती है  तथा कन्याएं भाबी जीवन की सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति के लिए इस व्रत को तपस्या की तरह निर्जला, निराहार रहकर पूर्ण करती हैं हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है आचार्य रमेश चंद्र शास्त्री जी ने बताया कि इस वर्ष महावीर पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा तृतीया तिथि का आरंभ 5 सितंबर की प्रातः में 10 बजकर 04 मिनट पर होगा जो अगले दिन यानी 6 सितंबर को दोपहर 12: बजाकर 0 8 मिनट तक रहेगा तृतीया तिथि उदय काल में 6 सितंबर को रहेगी ऐसे में हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा अधिकतर ब्रतादि में सूर्योदय कालीन तिथि ग्रहण किया जाता है वैसे ही व्रत उत्सव मनाने की तिथि भले ही सूर्योदय कल के कुछ समय बाद तक हो परंतु उससे संबंधित पूजा पाठ उत्सव संपूर्ण दिन और उसे रात में भी मनाया जाता है

 या तिथिःउदया ज्ञेया सा तिथिः सकलास्मृता

 यह निर्णय सिंधु का वाक्य भी प्रमाण है अतः इस बार तृतीया तिथि भले ही शुक्रवार को दिन में 12बजकर08 मिनट तक है किंतु तीज व्रत से संबंधित पूजा व्रत कथा श्रवण इत्यादि प्रदोष काल में ही परंपरा अनुसार किया जाएगा यह व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखती हैं इस दिन माता पार्वती एवं देवाधि देव महादेव की पूजा की जाती है यह व्रत बहुत ही कठिन होता है क्योंकि इसे निर्जला रखा जाता है यह व्रत खास तौर पर उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश,  दिल्ली , हरियाणा एवं नेपाल  में किया जाता है

हरितालिका तीज व्रत पूजा विधि 

हरितालिका तीज की दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर माता पार्वती एवं भगवान भोलेनाथ की मिट्टी की प्रतिमा बनाएं सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा दूर्वाकुर आदि से करने के पश्चात दूध, दही, घी, शहद, एवं चीनी से भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती को स्नान करावे तत्पश्चात संक्षेप और विस्तार के भेद से पूजा के अनेकों प्रकार के उपचार पांच, दश, सोलह, अट्ठारह, छत्तीस, चौसठ तथा राजोपचार आदि पूजन करें तत्पश्चात भगवान को सुंदर वस्त्र धारण कराकर जनेऊ, बेलपत्र, भांग, धतूर, कमल पुष्प भगवान शिव को समर्पित करें माता पार्वती को मेहंदी पत्र सोलह सिंगार वस्त्र आभूषण समर्पित करने के पश्चात हरितालिका तीज व्रत की कथा श्रवण करें तत्पश्चात भगवान गणेश की आरती के साथ भोलेनाथ एवं माता पार्वती की आरती करें रात्रि मे गीत संगीत भजन गाते हुए जागरण करें ऐसा करने से मनोवांछित फल प्राप्ति होती है

हरितालिका तीज व्रत जागरण का महत्व

 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा एवं भक्ति के साथ करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं परंतु यदि शादीशुदा स्त्रियां स्नान आदि करने के पश्चात इस परम पवित्र व्रत को धारण करती है तो महादेव एवं माता पार्वती की कृपा से उनके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है इसी के साथ जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही हो तो इस व्रत के प्रभाव से शीघ्र विवाह होने के योग बनने लगता है।

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