करनैलगंज /गोण्डा - साहित्यिक संस्था बज़्मे शामे गज़ल की विशेष शोक गोष्ठी बरिष्ठ शाएर, शिक्षक व चिकित्सक डॉ. असलम खाँ वार्सी बकाई के निधन पर अल्लामा इक़बाल लाइब्रेरी बालूगंज में आयोजित हुई। गणेश तिवारी 'नेश' के संरक्षण में गोष्ठी की अध्यक्षता अब्दुल गफ्फार ठेकेदार ने की। सलीम बेदिल ने आग़ाज़ में नात पेश की। संचालन करते हुए याक़ूब सिद्दीकी 'अज़्म' ने शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया । महामन्त्री मुजीब सिद्दीकी ने चार दशकों से भी ज़्यादा अपनी दोस्ती के हवाले से कहा कि मरहूम अच्छे शाएर के साथ अच्छे इन्सान थे। अनीस खाँ आरिफी ने कहा कि डाक्टर साहब बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। मौलाना उवैसुल कादरी ने कहा कि मैं उन के करीब रहा, वह खुद्दार इन्सान थे। हाफिज़ हिसामुद्दीन ने कहा कि वह पड़ोसी नहीं, मेरे भाई थे। अजय श्रीवास्तव ने कहा कि डॉक्टर साहब के पास कोई गमगीन आता था तो हँसता हुआ जाता था। हरीश शुक्ला ने कहा कि मैं उन की कैलाश बाग वाली क्लीनिक पर जाया करता था। अध्यक्षीय सम्बोधन में अब्दुल गफ्फार ने कहा कि असलम साहब के जाने का इतना गम है कि बज़्म के लोग काफी दुखी हैं । संरक्षक गणेश तिवारी 'नेश' के साथ कौसर सलमानी, याकूब अज़्म,यासीन राजू अंसारी, उत्तम कुमार शोला व इमरान मसूदी ने रचनाओं से श्रद्धासुमन अर्पित किया। गोष्ठी में ताज मोहम्मद कुरबान, अब्दुल क़य्यूम सिद्दीकी, हाजी जहीर वारसी, हाजी नियाज कमर, डॉ. असलम हाशमी, साबिर सभासद, सगीर सिद्दीकी, मुज़क्की बक़ाई, मुबीन मंसूरी, निज़ामुद्दीन शम्स, समी बकाई,अल्ताफ राईनी, साबिर गुड्डू, हस्सान जलालपुरी,सलीम ज़हीन इण्डियन, दानिश अंसारी,फरीद अहमद, साहिल हसन के साथ स्वर्गीय असलम साहब के पुत्र गण आदिल असलम, आकिल व आतिफ सहित अन्य मौजूद रहे। गोष्ठी में मरहूम को भरपूर श्रद्धांजलि दी गई।
Sep 28, 2024
साहित्यिक संस्था बज्मे गजल ने आयोजित की शोक सभा
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