लखनऊ - आज पूरे देश में नाग पंचमी का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। जानिए उज्जैन स्थिति नाग देवता के उस मंदिर के बारे में जो बर्ष में केवल एक बार खुलता है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के मुताबिक श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 9 अगस्त 2024 को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। सनातन धर्म में इस दिन भगवान शिवजी के साथ सर्पों की पूजा का विशेष विधान है, हिंदू धर्म में नाग पूजनीय माने गए हैं, जहां भगवान शिव के गले में विराजते हैं तो शेषनाग पर भगवान विष्णु शयन करते हैं, चलो आज जानते हैं नाग देवता के उस मंदिर के बारे में जो वर्ष में सिर्फ एक बार ही खुलता है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग में से एक है महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में की तीसरी मंजिल पर मौजूद है नागचंद्रेश्वर मंदिर ये मंदिर भक्तों के लिए बर्ष में सिर्फ नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिये ही खुलता है। नागचंद्रेश्वर मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था, यहां फन फैलाए नागदेवता की एक अद्भुत प्रतिमा है, जिसपर शिवजी मां पार्वती के साथ बैठे हैं, मान्यता है कि यहां नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
ग्रंथों के अनुसार नाग देवता की ये प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। बताया जा रहा है कि उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है, वैसे तो नाग शैय्या पर विष्णु भगवान विराजमान होते हैं लेकिन इस दुर्लभ दसमुखी सर्प प्रतिमा पर भगवान शिव देवी पार्वती संग बैठे हैं।
वर्षभर क्यों बंद रहता है नागचंद्रेश्वर मंदिर
पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्पराज तक्षक ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप किया था, सर्पों के राजा तक्षक की तपस्या से खुश होकर शिव जी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था, उसके बाद से तक्षक राजा ने भोलेनाथ की शरण में वास करने लगे, नागराज की महाकाल वन में वास करने से पूर्व मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो, यही वजह है कि इस मंदिर के पट सिर्फ वर्ष में एक बार खुलते हैं, शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार ये मंदिर बंद रहता है।
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