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Aug 29, 2024

महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण सिंह को मिली तारीख

 


लखनऊ - गुरूवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में दर्ज प्राथमिकी और आरोप रद्द करने वाली  याचिका पर सुनवाई की और अगली तारीख तय कर दिया।


न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने बृज भूषण सिंह को दो सप्ताह का समय दिया तथा मामले की अगली सुनवाई के लिए आगामी 26 सितंबर की तारीख तय कर दी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने आरोप पत्र और उससे जुड़ी सभी अन्य कार्यवाही को रद्द करने के वास्ते सभी दलीलों को पेश करने के लिए एक संक्षिप्त नोट तैयार करने का समय मांगा है, जिसके लिए उन्हें 2 सप्ताह का समय दिया जाता है।


सरकार व पीड़ित महिला पहलवानों के वकीलों द्वारा याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह सुनवाई के योग्य नहीं है। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा कि ये शिकायतें छः महिला पहलवानों द्वारा की गई थीं और निचली कोर्ट ने पाया कि उनमें से एक की शिकायत की समय सीमा पूरी हो चुकी थी, इसलिए उसने पांच पीड़ितों की शिकायतों के आधार पर आरोप तय किये थे। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि इसमें बहुत सोच-विचार किया गया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देने तथा प्राथिमिकी, आरोप पत्र और अन्य सभी कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध करने के लिए एक ही याचिका दायर करने पर उनसे सवाल किया। कोर्ट ने कहा कि हर चीज पर कोई एक आदेश लागू नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि वह मुकदमा शुरू होने के बाद हर बात को चुनौती दे रहे हैं। इसमें कहा गया, यह कुछ और नहीं बल्कि एक टेढ़ा रास्ता है। सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव मोहन ने कहा कि कथित पीड़ितों द्वारा बताये गये उदाहरणों में कोई निरंतरता तथा कारणों में कोई समानता नहीं है। 

उन्होंने तर्क दिया कि सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोप किसी अन्य मकसद से प्रेरित है, चूंकि वह उस समय डब्ल्यूएफआई के प्रमुख थे, इसलिए सभी शिकायतों का साझा उद्देश्य उन्हें डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के पद से हटाना था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अब दिये जा रहे सभी तर्कों पर आरोप तय करते समय निचली कोर्ट द्वारा विचार किया जाना चाहिये था। बृज भूषण सिंह ने दलील दी है कि जांच पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई क्योंकि केवल पीड़ितों के बयान पर विचार किया गया था। याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाये गये, जिसपर निचली कोर्ट ने विचार नहीं किया। डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है और अभियोजन पक्ष ने जो आरोप लगाए हैं, वैसा कोई भी अपराध उन्होंने नहीं किया।

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