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Aug 13, 2024

साहित्यिक संस्था बज्मे गजल का मुसालमा हुआ आयोजित

 

 कर्नलगंज/गोण्डा–साहित्यिक संस्था 'बज़्मे शामे ग़ज़ल ' का मुसालमा ( मनकबती मुशायरा ) मो० बालूगंज में सग़ीर सिद्दीकी के नवनिर्मित मकान यासीन मंज़िल पर आयोजित हुआ। अब्दुल गफ्फार ठेकेदार की अध्यक्षता , गणेश तिवारी 'नेश' के संरक्षण में कार्यक्रम का संचालन याक़ूब सिद्दीकी 'अज़्म' ने किया।

क़ारी रईस क़ादरी की तिलावते कुरआन से आग़ाज़ हुआ व समीर हाशमी ने नात प्रस्तुत की। शाए़रों ने हज़रत इमाम हुसैन,शहीदाने कर्बला व अहले बैत की शान में कलाम पेश किए।

महामंत्री मुजीब सिद्दीकी ने यह तुलना की -

इस तरह सिब्ते पयंबर के मक़ाबिल था यज़ीद -

सामने जिस तरह ज़मज़म के हो गंदा पानी।

डॉ० असलम हाशमी ने कहा -

कितने सादात हुए कत्ल ये सच है लेकिन -

बाग़े ज़हरा में अभी तक वही रानाई है।

अनीस खां आरिफी ने पढ़ा -

तौफीक जिसे मौला बख़्शे वही हो पाए -

शब्बीर का हो पाना मुश्किल है न आसाँ है।

मुबीन मंसूरी ने ज़ोर दे कर कहा -

ख्वाह कितने दौर गुज़रें,फिर भी मिट सकता नहीं -

कर्बला वाले गए वह नक्श दिल पर छोड़ कर।

अजय श्रीवास्तव ने आवाहन किया -

हो गर न यकीं तुम को अपना के ज़रा देखो -

गम आले मुहम्मद का हर दर्द का दरमाँ है।

रोहित सोनी ताबिश का यह शेर सराहा गया -

अपने सारे फूल रो रो कर निछावर कर गई -

आ गई फिरदौस जब भी कर्बला के सामने।

साबिर अली गुड्डू ने कर्बला को समर्पित किया -

कासिमों, अकबरो अब्बास,अली असगर, सरवर -

कर्बला तुझ में बहिश्तों के कई दर निकले।

अलहाज गोण्डवी ने खिराजे अकीदत पेश किया -

उन की अज़मत का बयाँ कैसे करूं मैं अलहाज -

जिन के नाना हैं नबी , फातिमा सी माई है।

इमरान मसऊदी ने कहा - 

 फौजे आदा से निकल कर हुए शह पर कुरबाँ-

हज़रते हुर ने तो जन्नत में जगह पाई है।

अभिषेक श्रीवास्तव ने यह तारीफ बयान की -

इस्लाम की बक़ा है शहादत हुसैन की -

समझो कि क्या है वाक़ई अज़मत हुसैन की ।

साथ ही ताज मुहम्मद कुरबान, नियाज़ अहमद क़मर,याकूब अज़्म गोण्डवी,कौसर सलमानी, अवध राज वर्मा करुण,अल्ताफ हुसैन राईनी,सगीर सिद्दीकी, निज़ामुद्दीन शम्स ,हस्सान जलालपुरी,सलीम बेदिल,यासीन राजू दुर्रानी,मेराज क़ादरी,ने कलाम पेश किए।इस अवसर पर ज़हीर वारसी,कय्यूम सिद्दीकी,हरीश शुक्ल,तौफीक अहमद,मेराजुद्दीन, मोनिस सलमानी,यूसुफ हुसैन खां,शहरयार खां,नसीम रौशन,आदिल असलम,वसीम अंसारी,अशरफ सिद्दीकी, अब्दुल रज़्ज़ाक,आमिर सिद्दीकी आदि मौजूद रहे।गणेश तिवारी नेश ने व्याख्यान दिया व अब्दुल गफ्फार ठेकेदार ने अध्यक्षीय वक्तव्य दिया।सगीर सिद्दीकी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।सलाम व दुआ पर कार्यक्रम संपन्न हुआ।


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