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Jun 13, 2024

चहलारी नरेश का बलिदान देश व समाज के लिए प्रेरणाश्रोत वीरता की कहानियां पढ़कर चहलारी नरेश को नमन

 चहलारी नरेश का बलिदान देश व समाज के लिए प्रेरणाश्रोत

वीरता की कहानियां पढ़कर चहलारी नरेश को नमन

166वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

शहीद महाराजा बलभद्र सिंह की जीवन गाथा को वर्तमान पीढ़ी के लिए अनुकरणीय

बहराइच। शहर के ठा.हुकुम सिंह किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय के जे.बी.सिंह सभागार में गुरूवार को 1857वें स्वतंत्रता संग्राम के महा नायकं चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह के 166वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने चहलारी नरेश बलभद्र सिंह के वीरता की कहानियां पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख हुजूरपुर अजीत प्रताप सिंह रहे। जबकि अध्यक्षता ठा.हुकुम सिंह किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सचिव/प्रबन्धक डा.एस.पी.सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि महाराजा देवी बक्श सिंह गोण्डा के वंशज माधवराज सिंह रहे। संचालन कवि रईस सिद्दीकी ने किया। अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि चहलारी नरेश का बलिदान हमारे लिए सदियों तक प्रेरणा स्रोत रहेगा। उन्होंने जिस बहादुरी के साथ बाराबंकी के ओबरी मैदान में अंग्रेजों की सेना के छक्के छुड़ाये थे वह सदैव अविस्मरणीय रहेगा। अध्यक्षता कर रहे डा.एस.पी.सिंह ने कहा कि चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह ने 1857 के स्वतंत्रता आन्दोलन की जो अलख जगाई थी वह अलख कभी ठण्डी नहीं पड़ी। इसी की बदौलत आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के महामंत्री रमेश कुमार मिश्र ने कहा कि चहलारी नरेश बलभद्र सिंह ने अवध के सारे राजा महराजाओं को एकत्रित कर बाराबंकी के ओबरी मैदान में जिस वीरता के साथ अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ाये थे उस वीरता की कहानी अंग्रेज सेनापति होपग्रांट भी बखान करता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में महाराजा देवी बख्श सिंह के वंशज माधवराज सिंह ने कहा कि चहलारी नरेश का बलिदान कभी भी व्यर्थ नहीं जायेगा। हम सभी को हमेशा उनके बलिदान से प्रेरणा मिलती रहेगी। उन्होंने कहा कि 1857वीं क्रान्ति कोई मामूली क्रान्ति नहीं थी। 1857 आन्दोलन का ही परिणाम रहा कि धीरे-धीरे लोग अंग्रेजी सेना व उनकी हुकूमत के खिलाफ बगावत पर उतर आये और अंत में देश आजाद हुआ। कार्यक्रम में बोलते हुए क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष डा.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में जब भी वीर योद्धाओं का नाम लिया जायेगा उसमें चहलारी नरेश बलभद्र सिंह का नाम सदियों तक अमर रहेगा। उनकी वीरता की कहानी आज के युवा पीढ़ी को सदैव प्रेरणा देती रहेगी। कार्यक्रम में पहुंचे कवि राम संवारे चातक, विमलेश जायसवाल, रईस सिददीकी, पुण्डरीक पाण्डेय, कवयित्री तमन्ना सहित अन्य कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से चहलारी नरेश की वीरता की कहानियां पढ़ी तथा कविताओं द्वारा भी प्रकाश डाला। वहीं कार्यक्रम में चहलारी नरेश उत्तराधिकारी आदित्यभान सिंह द्वारा भी अपनी कविता के माध्यम से चहलारी नरेश बलभद्र सिंह को नमन किया और कहा कि बलभद्दर कय गाथा सब लंदन मईहा गावत है, बिलियम और होपग्रांट सब आपन दैनंदिनी सुनावत है। जो गोरन काटि कै तोप लियो उनकी तिरिया चुपवावत है। धरि धीरज सोय रहव पुतवा नहिं तव बलभद्दर आवत है। कार्यक्रम के दौरान पं.भगवान दीन वैद्य के पौत्र मुन्ना मिश्र, रत्नाकर सिंह, कुलदीप पाण्डेय, सरजू प्रसाद, अखिलेश प्रताप सिंह गोण्डा, अमर सिंह विसेन, संतोष कुमार सिंह, विष्णु प्रताप सिंह, राजू मिश्र, मुकेश श्रीवास्तव, गया प्रसाद, बाबू लाल वर्मा, अजय त्रिपाठी, विशाल, अरविन्द वर्मा, डा.आनन्द श्रीवास्तव, बादल सिंह, कुवर शिवेन्द्र सिंह, कुंवर अगम सिंह, सहित भारी संख्या में अन्य लोग मौजूद रहे।

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