सौभाग्य प्राप्ति के लिए बट सावित्री व्रतः आचार्य रमेश चंद्र शास्त्री
बहराइच। भारत हमेशा से व्रत एवं त्योहारो का देश माना जाता है। हमारे देश में नाना प्रकार के त्योहारों को बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया जाता है इनमें से एक बड़ा ही प्यारा सुहागिन स्त्रियों का त्योहार बट सावित्री का है जो जेषठ मास अमावस्या के दिन सौभाग्यवती स्त्रियां बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाती हैं। इस वर्ष बट सावित्री का व्रत सभी सुहागिन स्त्रियों के लिए 6 जून दिन बृहस्पतिवार को प्रातः 7 बजे के बाद मनाया जाएगा। क्योंकि 7 बजे से पहले गुरु बालात्व दोष है। बट सावित्री व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और अपने पति के लंबी आयु की कामना के साथ परिवार के सदस्यों की उत्तम स्वास्थ्य की कामना करती है। बट सावित्री की पूजा के समय चना, पूरी, पूआ, खरबूजा का भोग लगाया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में बट (बरगद) पेड़ को पूजनीय स्थान दिया गया है। मान्यता है इस वृक्ष में शिव, विष्णु और ब्रह्मा का निवास होता है। इस प्रकार इस दिन विधि विधान के साथ बट वृक्ष का पूजन करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जेठ मास की अमावस्या के दिन ही सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान की प्राण बचाए थे इसलिए इस व्रत को वट सावित्री व्रत कहा जाता है।
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