May 7, 2024

जयंती पर याद किए गए गुरूदेव टैगोर

 जयंती पर याद किए गए गुरूदेव टैगोर

गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती मनाई गई

बहराइच। स्थानीय सेनानी भवन सभागार में गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में सेनानी उत्तराधिकारियों ने गुरुदेव के जीवन वृत्त एवं उनके द्वारा किए गए देशोपयोगी कार्यों की चर्चा की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संगठन संरक्षक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि गुरूदेव विश्व विख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता थे। उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूंकने वाले युगदृष्टा का काम किया। 1913 में साहित्य नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर यूरोपीय और पहले गीतकार बने। संगठन के प्रदेश कार्यवाहक महामंत्री रमेश कुमार मिश्र ने कहा कि गुरूदेव गीतांजलि की ‘‘बेहद संवेदनशील, ताजा और सुंदर‘‘ कविता के लेखक थे। उनकी रचनाएं अध्यात्म से ओतप्रोत थी और काफी लोकप्रिय थीं। वें दुनिया के अकेले ऐसे रचनाकार थे जिनकी दो रचनाओं को दो देश, भारत-जन गण मन अधिनायक जय हो एवं बांग्लादेश-आमार सोनार बांग्ला ने अपना राष्ट्रगान बनाया। संगठन के शहर अध्यक्ष राजू मिश्र उर्फ मुन्ना भैया ने कहा कि रवीन्द्र नाथ ठाकुर अपने 14 भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उन्होंने अपने जीवन में 2232 गीत लिखे जो आज भी भारत और बांग्लादेश के विशाल भू-भाग पर लोकप्रियता की मिसाल कायम किए हुए है। संगठन उपाध्यक्ष रामदीन गौतम ने कहा कि गुरूदेव ने पचास से अधिक नाटकीय विधा में रचनाएं लिखी। उनका दार्शनिक भाव यह था कि शिक्षा प्राप्त करते समय बालक को स्वतंत्र वातावरण मिलना परम आवश्यक है। संगठन के श्रावस्ती इकाई अध्यक्ष यदुनाथ प्रसाद यादव ने कहा कि गंभीर यूरेमिया और अवरूद्ध मूत्राशय की वजह से 07 अगस्त 1941 को उनकी मृत्यु हो गई जिससे देश ने एक बहुविधा के धनी अपने धरोहर को खो दिया। अन्त में उपस्थित सभी सेनानी परिजनों ने गुरूवर की जीवन से शिक्षा लेकर उसे अपने जीवन पर उतारने के संकल्प के साथ कार्यक्रम समाप्त किया। कार्यक्रम में रक्षा राम यादव, अंगनू राम, संगठन महामंत्री आदित्य भान सिंह,अनिल वर्मा, जाहिर अली, दोस्त मोहम्मद, अब्दुल रहमान, फूलमती देवी, बदलूराम गौतम, ननकऊ सहित तमाम सेनानी उत्तराधिकारी मौजूद रहे।

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