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Apr 2, 2024

श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन : कथावाचक ने सुनाया कलयुग का आरम्भ व प्रभाव का वर्णन

 



करनैलगंज/गोण्डा - नारायणपुर साल में मुख्य यजमान डा.हनुमान प्रसाद दुबे एवं श्रीमती योगमाया के यहाँ आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिवस पर आचार्य पं.बैद्यनाथ नाथ त्रिपाठी ने कलियुग के प्रारंभ एवं उसके प्रभाव का वर्णन किया । आचार्य जी ने बताया कि कलियुग के प्रभाव से राजा परीक्षित की मति भ्रमित हो गई फलस्वरूप उन्होंने ध्यानस्थ ॠषि शमीक के गले में मृत सर्प को डाल दिया ।ॠषि पूत्र श्रंगी ऋषि को जब इसका ज्ञान हुआ तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दे दिया। ॠषि ने तक्षक नाग को मंत्र शक्ति से आदेश दिया कि वह राजा परीक्षित को डस कर उनके मृत्यु का कारण बने। राजा को जब अपने कृत्य का ज्ञान हुआ तो उन्होंने ऋषि शमीक से क्षमा याचना करते हुए श्राप को स्वीकार करते हुए मुक्ति और नारायण की प्रसन्नता के लिए उपाय पूंछा। ऋषि को अपने पुत्र द्वारा प्रजावत्सल राजा को श्राप देने की आत्मग्लानि हुई । ऋषि ने मुक्ति के लिए श्रीमद्भागवत महापुराण कथा श्रवण का निर्देश दिया । राजा परीक्षित ने मृत्यु से निर्भय रहते हुए अपने कुलगुरू और अन्य ऋषिश्रेष्ठों से कथा सुनाने की प्रार्थना कि परन्तु सबने असमर्थता व्यक्त किया। तब व्यास भगवान के पुत्र बालयोगी शुकदेव जी ने कथा सुनाना स्वीकार किया । राजा परीक्षित जी ने अन्नय भाव से सम्पन्न होकर श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का श्रवण किया ।श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के प्रभाव से श्रीनारायण का उन्हें दिव्यधाम और सायुज्य प्राप्त हुआ।

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