करनैलगंज/गोण्डा - हम बात उस दौर की कर रहे हैं जब बसपाई नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी द्वारा भाजपा नेता दयाशंकर सिंह वर्तमान (परिवहन मंत्री) व स्वाती सिंह को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई थी,जिसका पूरे प्रदेश में जमकर विरोध हुआ था ,लेकिन इस विरोध की शुरुआत सबसे पहले अखिल भारतीय क्षत्रिय कल्याण परिषद के बैनर तले अवधेश सिंह ने किया था तथा उनकी हुंकार पर हजरतगंज स्थित गांधी पार्क खचाखच भर गया था। उस समय अवधेश सिंह राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय थे, कुछ दिनों बाद बसपा से निकाले गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कांग्रेस पार्टी में आस्था व्यक्त करनी चाही लेकिन जैसे ही इस बात की भनक अवधेश सिंह को लगी उन्होने पार्टी में अपना विरोध जताया ,लेकिन अंततः कांग्रेस ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी में शामिल कर लिया। बस इतने से ही सिद्धांतो के अडिग राही अवधेश सिंह ने बगैर देर किए एक झटके में पार्टी से त्याग पत्र देकर राजनीति से पूरी तरह से सन्यास ले लिया। जो सत्ताधारी पार्टी जनता दल का प्रदेश अध्यक्ष रहा हो देश के 4 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुका हो,प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहा हो उसका एक झटके में त्याग पत्र देकर राजनीति से सन्यास ले लेना सिद्धातों की अडिगता नहीं तो और क्या है। जीवन पर्यन्त अवधेश सिंह ने अभावों में रहकर भी सिद्धांतो को अक्षुण बनाए रखा। सर्व समाज के हितैषी के रूप में अमिट छाप छोड़ने वाले वाले अवधेश सिंह जैसे लोग इस धरा पर विरले ही जन्म लेते हैं,जो सबके अंतस्तल में स्थान बना सकें। आपका अदम्य साहस, अपनों के प्रति समर्पण,विचारों का आदान प्रदान, संकल्प,सिद्धान्तवादिता,निर्भीकता, बेबाकी तथा प्रेरणा देने की अद्भुद कला कौशल सदियों तक आपको जीवंत रखेगी।
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