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Dec 29, 2023

राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत ओरियंटेशन ऑफ़ स्टेक होल्डर प्रशिक्षण/ उन्मुखीकरण कार्यशाला का हुआ आयोजन

 राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत ओरियंटेशन ऑफ़ स्टेक होल्डर प्रशिक्षण/ उन्मुखीकरण कार्यशाला का हुआ आयोजन


बहराइच। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सभागार कक्ष में ओरिएंटेशन ऑफ स्टेक होल्डर आर्गेनाइजेशन प्रशिक्षण/ उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण/ उन्मुखीकरण कार्यशाला में बेसिक शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, रेल विभाग समेत विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग कर तम्बाकू नियंत्रण पर प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला में तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और बचाव के बारे में विस्तार से जागरूक किया गया।


            अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० राजेश कुमार ने बताया कि तंबाकू नियंत्रण के लिए कोटपा अधिनियम 2003 बनाया गया है, जिसमें धारा चार के तहत सभी सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग करना अपराध है। पकड़े जाने पर दो सौ रुपये जुर्माना हो सकता है। धारा 6बी के तहत विद्यालय के सौ गज के दायरे में कोई भी तंबाकू की दुकान नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि तंबाकू उत्पाद पर अगर चित्र के साथ चेतावनी नहीं होगी तो धारा 7 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।उप मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ० संजय सोलंकी ने कहा कि समाज में तम्बाकू का सेवन पुरुषों के साथ महिलाओं द्वारा भी बहुत अधिक मात्रा में किया जा रहा है। इसके परिणाम बहुत ही गंभीर हैं, तम्बाकू का धुआं लोगों के लिए हानिकारक है। उन्होंने बताया कि तंबाकू नियंत्रण कानून के तहत सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने, खुलेआम तंबाकू से संबंधित सामग्री बेचने पर कार्रवाई की जा सकती है। उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० पी० के० बांदिल ने कहा कि तनाव का सबसे बड़ा कारण नशा ही है। आत्महत्या का मुख्य कारण तनाव है और तनाव का मुख्य कारण है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे एनसीडी के डॉ० परितोष तिवारी ने तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों व उससे बचाव की जानकारी देते हुए कहा कि तम्बाकू उत्पादों से मुंह में छाले पडऩा, गले में छाले पडऩा, पेट में छाले पडऩा तथा फेफड़ों में छाले पड़ जाते हैं तथा टीवी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ-साथ ही श्वास की बीमारियां एलर्जी की बीमारियां डायबिटीज ब्लड प्रेशर बढना, अनिद्रा इत्यादि  प्रकार की बीमारियां भी इससे हो जाती है। जो लोग इसके आदी हो जाते हैं या जिनको लत लग जाती है वह चाहकर भी इसे नहीं छोड़ पाते हैं।मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ० विजित जायसवाल ने बताया कि तम्बाकू के उपयोग का प्रभाव केवल मृत्यु दर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन की गुणवत्ता और खराब मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के प्रयासों को भी प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए तम्बाकू मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ दवाओं की प्रभावशीलता को कम कर देता है। मानसिक बीमारी के कारण लोगों में तम्बाकू का उपयोग करने की संभावना दोगुनी हो जाती है और साथ ही तम्बाकू लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है।  जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने जिले में राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम की उपलब्धियों व वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तंबाकू जनित रोगों से प्रतिवर्ष भारत में लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। तंबाकू एवं सिगरेट से होने वाले हजारों प्रकार की घातक बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग एवं फेफड़ों आदि की बीमारी और असामयिक मृत्यु से संबंधित प्रचार-प्रसार को युक्तिसंगत तरीकों से लागू करने के लिए सरकारी कर्मियों के माध्यम से आम लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू सेवन से मुंह का कैंसर होता है, दांत खराब होते है, आँखे कमजोर होती है, हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है तथा उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। तम्बाकू व धुम्रपान के सेवन से इंसान का फेफड़ा खराब हो जाता है तथा नपुंसकता का खतरा बढ़ जाता है।  डीपीएम सरजू खान ने कहा कि समाज के आम लोगों के बीच जाकर तंबाकू के सेवन के दुष्प्रभावों से अवगत करवाते हुए इसपर पूर्ण नियंत्रण लगाने के लिए कार्य करने होगा। तंबाकू का सेवन न करने के लिए लोगों को प्रेरित और जागरूक करना होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में डॉ० परितोष तिवारी ने स्वास्थ्य कर्मचारियों समेत विभिन्न विभाग से आए प्रतिनिधियों को शपथ दिलाई कि हम कभी भी धूम्रपान या तंबाकू या अन्य प्रकार के तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं करेंगे साथ ही अपने परिजनों या परिचितों को धूम्रपान का या अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करेंगे और अपने अस्पताल परिसर को तंबाकू मुक्त रखेगे। इस मौके पर डॉ० निर्मेष श्रीवास्तव, खाद्य एवं रसद विभाग से अभिषेक कुमार, अजय कुमार सिंह, डॉ० रामतेज, मुकेश कुमार श्रीवास्तव, डॉ० विश्राम रावत, विनोद कुमार शर्मा, एनसीडी सेल से विवेक श्रीवास्तव, मो० हारून, फहीम अहमद, शरद श्रीवास्तव, एनसीडी क्लीनिक से डॉ० रियाजुल हक, पुनीत शर्मा, संतोष सिंह, बृज प्रकाश, मनीष कुमार सिंह, राज कुमार महतो, सीमा कुमारी, अजय एवं मुकेश हंस आदि मौजूद रहे।

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