गौ आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंश को ठण्ड से बचाने के डीएम ने जारी किये दिशा निर्देश
बहराइच । जिले के गो आश्रय स्थलों में सरक्षित निराश्रित/बेसहारा गोवंशों को ठण्ड से बचाव के लिए जिलाधिकारी मोनिका रानी द्वारा समस्त पशु चिकित्सा अधिकारियों व पंचायत राज तथा ग्राम विकास विभाग के अधिकारियों को नियमित रूप से गो आश्रय स्थलों का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का प्रभावी पर्यवेक्षण शासन की मंशानुरूप व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिये गये हैं। निराश्रित गोवंश का संरक्षण एवं भरण पोषण सरकार की शीर्ष प्राथमिकता को दृष्टिगत रखते हुए डीएम ने सभी सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि गोवंशों को ठड से बचाव के लिये उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार जिसमें प्रचुर मात्रा में कार्बाेहाइड्रेट उपलब्ध कराया जाय साथ ही पीने के लिए स्वच्छ ताजे जल का प्रबन्ध किया जाय। जिले के गोआश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंशों के लिए पर्याप्त भूसा, हरा चारा व दाने के साथ नमक व गुड भी उपलब्ध कराया जाय। डीएम ने आश्रय स्थलों में शीत लहर के प्रभाव को रोकने की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के लिये शेड को जूट के बोरे/तिरपाल से कवर किया जाय। इसके लिये विभिन्न संस्थाओं के पास उपलब्ध अनुपयोगी बोरा/टाट आदि को गौ आश्रय स्थलों पर उपलब्ध कराकर प्रयोग में लाया जाय। डीएम द्वारा सुझाव दिया गया है कि गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए समुचित प्रबन्धन एवं निरन्तर निगरानी के साथ साथ पशु शेडों के आस पास सुरक्षित ढंग से अलाव की भी व्यवस्था की जा सकती है।डीएम ने अधिकारियों को सुझाव दिया है ठंड के प्रभाव को कम करने के लिए गो आश्रय स्थलों में बिछावन के रूप में पुआल लकड़ी का बुरादा तथा गन्ने के अवशेष का प्रयोग करने से ठंड से समुचित बचाव किया जा सकता है। शीत ऋतु में संभावित वर्षा के दृष्टिगत स्थल पर जल भराव न हो तथा गोवंश शेड जल-भराव से प्रभावित न हो इसके लिए गो आश्रय स्थल में जल निकासी की समुचित प्रबन्ध करने के साथ-साथ वृद्ध, अशक्त व नवजात गोवंश पर विशेष ध्यान दिया जाय। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि ऐसे कोई भी गोवंश रात्रि में खुले स्थान में न रहने पायें, इसकेे लिए पृथक रूप से विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। डीएम द्वारा सम्बन्धित अधिकारियों को यह भी सुझाव दिया गया है कि गो आश्रय स्थलों में दिन के समय पशु शेडों के टाट व तिरपाल को खोल दिया जाय जिरासे शेड में पर्याप्त धूप पहुंच सके और फर्श सूखा बना रहे। गो आश्रय स्थलों में नियमित रूप से गोबर व गो मूत्र की सफाई की समुचित व्यवस्था करायी जाय तथा समय समय पर बिछावन को बदले जाने के भी माकूल बन्दोबस्त किये जायें।
No comments:
Post a Comment