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Jul 14, 2023

नियमो को ताक पर रखकर दे दी गई NOC, दो सौ परिवारों की जिंदगी दांव पर,आखिर जिम्मेदार कौन

 



लखनऊ - चिराग तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ कर रहा है लखनऊ का अग्निशमन विभाग !! जिससे करीब दो सौ परिवारों की जिंदगी कभी भी तबाह हो सकती है। हम बात कर रहे हैं राजधानी स्थित वृंदावन आवासीय योजना के अंतर्गत सेक्टर 12 ,G.H. में RG इंफ्रा सिटी द्वारा बनाए गए यूफोरिया टावर की। जिसमें अग्निशमन विभाग पी.जी. आई. के एफ.एस.ओ. द्वारा मानकों को ताक पर रखते हुए निर्माण कम्पनी को बेहिचक अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। जबकि आवास विकास परिषद वृंदावन द्वारा पोषित मानचित्र कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है। मौजूदा समय में उक्त यूफोरिया रिहाइसी टावर में कम से कम दो सौ परिवार रह रहे हैं। जबकि मौजूदा योगी सरकार पारदर्शिता के साथ कार्य करने एवम जीरो भ्रष्टाचार का संकल्प लेकर कार्य करने का दावा कर रही है, किंतु इसी सरकार में कुछ ऐसे जिम्मेदार अधिकारी अपने मंतव्य को आधार बनाकर सरकार की मंशा और संकल्प को धूल धूसरित करने पर अमादा हैं। अब सवाल यह उठता है कि कदाचित अगर कोई आपात स्थिति पैदा होती है  तो उक्त टावर में रह रहे दो सौ परिवारों की जिन्दगी का क्या होगा ? और होने वाली आपात घटना का जिम्मेदार आखिर कौन  होगा ? मामले में जब अग्निशमन विभाग के एफ.एस.ओ. से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने पूर्व में जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर ही एन. ओ. सी. का स्थायी रिनीवल कर दिया। जबकि पूर्व में जारी अनापत्ति प्रमाणपत्र अस्थाई रूप में निर्माणाधीन स्थिति में जारी हुआ था,वहीं आवास विकास परिषद वृंदावन योजना द्वारा पोषित मानचित्र में स्पस्ट रूप से चारो टावर के आंतरिक भाग में तीन मीटर चौड़ी सड़क वर्णित है,जो धरातल में कहीं दिखाई नहीं पड़ती और सड़क की जगह स्वीमिंगपूल और गार्डन निर्मित है। मिल रही जानकारी के मुताबिक बगैर सीसी (कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र) प्राप्ति के ही सम्बन्धित कंपनी द्वारा आवंटियों को फ्लैटों की रजिस्ट्री भी कर दी गई है और इतना ही नहीं मानकों की अनदेखी कर आवंटियों की आंखों में धूल झोंकते हुए उन्हें कब्जा भी दे दिया गया। अब देखना यह है जीरो भ्रष्टाचार की बात करने वाली योगी सरकार और उसके जिम्मेदार अफसर मामले को संज्ञान में लेकर उक्त यूफोरिया टावरों में पूरी निश्चिंतता के साथ रह रहे दो सौ परिवारों के प्रति कितना संवेदनशील है और ऐसे गंभीर मामले में कब और क्या कार्यवाही होती ?

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