सही पोषण-देश रोशन के अंतर्गत जिले के 2085 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मना अन्नप्राशन दिवस,
छह माह के बच्चों को खीर, हलुआ व दलिया खिलाकर कराया अन्नप्राशन, माताओं को सिखाए अच्छी परवरिश के तरीके।
गोंडा, 13 जून - 2023 |
बच्चों को सुपोषित करने के लिए मंगलवार को 2085 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी धर्मेन्द्र गौतम ने बताया कि बच्चों को सही समय पर पोषण युक्त आहार व स्वच्छता व्यवहार को अपनाकर कुपोषण की समस्या को जड़ से मिटाया जा सकता है। बच्चों के बेहतर मानसिक व शारीरिक विकास के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों में छह माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाकर माताओं को स्वस्थ व्यवहार के तरीके बताए गए।
नवाबगंज परियोजना के बालापुर, लौवा वीरपुर, खेमपुर, जफरापुर, विश्नोहरपुर समेत लगभग 158 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया | बच्चों का अन्नप्राशन कराने के दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) रमा सिंह ने पोषण के पांचों सूत्रों का जिक्र किया | पहले सूत्र के रूप में बच्चे के पहले हजार दिन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा की गर्भावस्था के 270 दिन तथा उसके बाद 2 वर्ष तक लगभग 730 दिन बच्चे के सबसे सुनहरे हजार दिन होते हैं | इसी समय बच्चे को सही आहार दिया जाना चाहिए, ताकि उसका मस्तिष्क तेजी से विकास कर सके | पौष्टिक आहार के रूप में 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध दिया जाना चाहिए | इस दौरान ऊपर से पानी भी नहीं देना चाहिए | छह माह के बाद बच्चे को ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए | इस उम्र में शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है, इसलिए इस दौरान शिशुओं को ज्यादा आहार की जरूरत होती है।
मुजेहना परियोजना की प्रभारी सीडीपीपो अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएँ, तभी बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो पाएगा | उन्होंने 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी | उन्होंने 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना तथा 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी | प्रभारी सीडीपीओ ने बताया कि मंगलवार को मुजेहना परियोजना के 115 केन्द्रों पर 127 बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार करवाया गया |
वहीं पण्डरी कृपाल परियोजना के 90 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कुल 108 बच्चों का अन्नप्राशन कराया गया | प्रभारी सीडीपीओ अनीता गुप्ता ने बताया कि शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है | सूजी, गेहूं का आटा, चावल, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाए जा सकते हैं | बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है | 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढ़े एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए | वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिए | दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं |
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