उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ व माननीय जनपद न्यायाधीश श्री ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी के निर्देश के अनुपालन में आज दिनांक-11.01.2023 को वृद्ध आश्रम, गोण्डा में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव श्री नितिन श्रीवास्तव, अपर जिला जज/एफटीसी-द्वितीय की अध्यक्षता में किया गया।
विधिक साक्षरता शिविर में सचिव द्वारा वृद्ध आश्रम, गोण्डा में प्रवास कर रहे वरिष्ठ नागरिकों के आश्रय एवं भण्डार/पाक गृह के साफ-सफाई, ठण्ड से बचाव हेतु अलाव व कम्बल की व्यवस्था तथा आश्रय गृह में समुचित प्रकाष की व्यवस्था हेतु आवश्यक निर्देश दिया गया। वृद्ध आश्रम, गोण्डा के राजेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि आज कुल 79 वृद्धजन उपस्थित हैं, जिनमें से 32 वृद्ध महिला एवं 47 वृद्ध पुरूष शामिल हैं। वृद्ध आश्रम में निवासरत कुछ वृद्धजनों द्वारा बताया गया कि उन्हें वृद्धा पेंशन प्राप्त नही हो रही है। इस पर वृद्धा आश्रम के प्रबन्धक को वृद्धजनों को वृद्धा पेंशन के बावत आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया तथा वृद्धा आश्रम में पाकशाला में बन रात्रिकालीन भोजन का निरीक्षण कर वृद्धा आश्रम में निवास कर रहे वरिष्ठ नागरिकों से निर्धारित भोजन के सम्बन्ध में पूंछतांछ की गयी। इसके अतिरिक्त वृद्ध आश्रम में कार्यरत लेखाकार कुवंर शर्मा, योगेश प्रताप सिंह भण्डार प्रभारी, सेवाकर्ता अमर दीक्षित, ओंकार सिंह, पूनम सिंह आदि उपस्थित रहे, जिनसे उनके द्वारा सम्पादित किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी की गयी तथा उन्हें अपने कार्यों को अधिक कुशलतापूर्वक से सम्पादित करने हेतु निर्देशित किया गया। इसके साथ ही विधिक साक्षरता शिविर में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा द्वारा उत्तराधिकार एवं भरण पोषण अधिनियम की जानकारी देते हुए यह बताया गया कि उत्तराधिकार एवं भरण पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20, वृद्धजनों को अपने बच्चों से भरण-पोषण प्राप्त करने का प्रावधान करती है। धारा 23 में न्यायालय के द्वारा भरण पोषण की धनराशि निर्धारित करने के सम्बन्ध में उपबन्ध दिये गये हैं। वर्तमान में न केवल पुत्र बल्कि पुत्रियों पर भी अपने माता-पिता के भरण-पोषण का दायित्व दिया गया है। यहां तक कि न केवल नैसर्गिक माता-पिता बल्कि दत्तक माता-पिता भी भरण-पोषण प्राप्त कर सकते हैं। आगे यह भी बताया गया कि जो वृद्ध अपने उत्तराधिकारी या रिश्तेदार को उपहार स्वरूप या फिर उनका हक मानते हुए अपनी सम्पत्ति उन्हें अन्तरित कर देते हैं तत्पश्चात उन्हें भरण पोषण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं की प्राप्ति नही होती है, तो वह विधि अनुसार अपनी सम्पत्ति वापस प्राप्त कर सकते हैं और सम्पत्ति का अन्तरण रद्द करवा सकते हैं। इसके अतिरिक्त सचिव द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय के विधि-व्यवस्था, सरकारी नीतियों एवं निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने की विस्तृत जानकारी दी गयी।
इसके अतिरिक्त सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा द्वारा आज ही लीगल एड क्लीनिक किशोर न्याय बोर्ड गोण्डा का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान लीगल एड क्लीनिक किशोर न्याय बोर्ड गोण्डा में नियुक्त पराविधिक स्वयं सेवक सुमन लता श्रीवास्तव को निर्देशित किया गया कि विधिक सेवाओं से सम्बन्धित जानकारी विधिवत रूप से किशोरों एवं उनके परिजनों को प्रदान करें तथा प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा कार्यालय में प्रेषित करेें।
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