ज्ञापन में कहा गया है कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव सम्पन्न कराने से न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित होगी, बल्कि पिछडों के अधिकारों का हनन है। कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 साल पूर्व ही निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल सर्वे का पालन करने का निर्देश दिया था, लेकिन अधिकांश राज्य सरकारों ने इस निर्देश की अवहेलना की है। हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने भी उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के सम्बन्ध में टिप्पणी करते हुए कहा है कि बिना ट्रिपल टेस्ट कराए ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारों को निकाय चुनाव के लिए नोटिफिकेशन से पहले ट्रिपल टेस्ट कराए जाने और ओबीसी आरक्षण को सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
जातिवार जनगणना कराए जाने की मांग
इसके साथ ही निकाय चुनाव में आरक्षण जैसे मूलभूत अधिकारों के संरक्षण और अन्य कल्याणकारी सरकारी नीतियों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के समुचित क्रियांवयन के लिए जातिवार आंकडे की उपलब्धता की मांग किया है। कहा कि जातिवार जनगणना कराए जाने से समुचित क्रियांवयन होगा और देश में सामाजिक न्याय की स्थापना होने का रास्ता खुलेगा। निकाय और पंचायत चुनावों में ओबीसी की भागीदारी और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को जातिवार जनगणना कराने के लिए केन्द्र सरकार को निर्देशित किए जाने की राष्ट्रपति से मांग की गई है।
ये लोग रहे मौजूद
प्रदर्शन और ज्ञापन सौपने वालों में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के जिलाध्यक्ष आजाद नासिर अली, कमलेश सचान, हरिशंकर रावण, एडवोकेट बुधि प्रकाश, विकास आर्या, गुड्डू पठान, राहुल आजाद, संतोष राव आदि शामिल रहे।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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