गोंडा - सेहत के प्रति समुदाय को जागरुक कर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कार्यक्रमों को गति प्रदान करने में आशा कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका है । आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की वह मजबूत कड़ी हैं, जो हर दिन और हर मौसम में अपने ड्यूटी पर अडिग रहकर समय-समय पर चलने वाले स्वास्थ्य कार्यक्रमों की जानकारी और उनका लाभ समुदाय की आखिरी पंक्ति पहुंचाती हैं ।
उक्त बातें मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरएस केसरी ने जिला महिला चिकित्सालय के हौंसला ट्रेनिंग सेंटर में नव- चयनित आशाओं के आठ दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के मौके पर कही । सीएमओ ने नव चयनित 38 आशाओं को प्रमाण-पत्र प्रदान करते हुए अपील किया कि प्रशिक्षण उपरांत आशा कार्यकर्ता अपने पदनाम के अनुरूप काम करें, ‘आशा तुम स्वस्थ समाज की आशा हो’, इस कथन को आत्मसात कर अपने कर्तव्यों व जिम्मेदारियों का भली भांति निर्वहन करते हुए समुदाय को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक कर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराएं, जिससे स्वस्थ भारत का सपना साकार हो सके ।
एसीएमओ डॉ एपी सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को खासकर गर्भवती और शून्य से दो साल तक के बच्चों को मिल सके, इस बारे में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है । गर्भवती के बेहतर स्वास्थ्य देखभाल एवं समुदाय में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के बारे में उन्हें विधिवत समझाया गया है ।
डीपीएम अमरनाथ ने कहा कि छोटे बच्चे और गर्भवती की देखभाल के लिए आशा अपने कार्यक्षेत्र में हमेशा सतर्क रहें । आशा बेहतर तरीके से कार्य करके समुदाय को 40 फीसदी स्वास्थ्य समस्यायों से बचा सकती हैं । यदि नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण हो जाए, तो बच्चे और गर्भवती महिलाएं रोग मुक्त रहेंगे ।
डीसीपीएम डॉ आरपी सिंह ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं को क्षेत्र की किसी महिला के गर्भवती होने की सूचना मिलने पर रजिस्ट्रेशन व प्रसव पूर्व जरूरी चार जाँच करवाने के साथ ही टीडी का टीका लगवाना सुनिश्चित करने पर प्रशिक्षित किया गया है । समय से पहले जन्में बच्चों एवं कम वजन के बच्चों के सही देखभाल के साथ ही अन्य जरूरी उपायों के बारे में बताया गया ।
वहीं प्रशिक्षक डॉ उमेश सिंह, सरिता श्रीवास्तव व एबी सिंह ने प्रशिक्षुओं को आशा का अर्थ, आशा की भूमिका, गाँव में छाया ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस का आयोजन करवाना, स्वास्थ्य के अधिकारों को समझना, आशा के अंदर कौशल, वंचित समुदाय की पहचान करना, आम स्वास्थ्य बीमारियों की पहचान करना, संचारी व गैर संचारी रोग, मातृ स्वास्थ्य व नवजात शिशु की देखभाल करना, पोषण व टीकाकरण के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी । इसके अलावा आठ दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओं को किशोर स्वास्थ्य, प्रजनन मार्ग का संक्रमण, नागरिक को सूचना लेने का अधिकार (आरटीआई) व (एसटीआई) सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन या सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज, यौन संबंध के कारण महिलाओं व पुरुषों को होने वाली कई तरह की बीमारियां जैसे- एचआईवी/एड्स, अनचाहे गर्भ, सुरक्षित गर्भपात, सुरक्षित प्रसव करवाना तथा परिवार नियोजन आदि के बारे में बताया गया ।
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