गोंडा - समेकित बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) की ओर से शुक्रवार को जिले के आठ ब्लॉकों के 51 गांवों में आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों द्वारा ‘ग्राम चौपाल’ का आयोजन किया गया । इसमें गांव के तीन से छः साल तक के बच्चे, अभिभावक तथा पंच और ग्राम प्रधान ने प्रतिभाग किया । इस दौरान पहेली, प्रतियोगिता व वर्णों, रंगों और अंकों के पहचान जैसे खेलों के माध्यम से अभिभावकों को बच्चों के खानपान, देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा के प्रति जागरुक किया गया । कार्यकत्रियों ने बताया कि बच्चे 3 से 6 साल की उम्र में खेल-खेल में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनेंगे, जो उनके सुनहरे भविष्य में सहायक साबित होगा ।
जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि 60 मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों पर शुक्रवार को ईसीसीई (अर्ली चाइल्ड केयर एजूकेशन) के तहत चौपाल का आयोजन किया गया | इसमें केंद्रों में पंजीकृत बच्चों के अभिभावक, महिला और शिशु स्वास्थ्य पर कार्य करने वाली संस्थाएं शामिल हुईं । चौपाल में बच्चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास पर विस्तार से जानकारी दी गई | बच्चों की गतिविधियों से अभिभावकों को रूबरू कराया गया ।
उन्होंने बताया कि जनपद गोंडा में विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी द्वारा आईसीडीएस के साथ ईसीसीई पर कार्य किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आने वाले तीन से छः साल के बच्चों को खेल-खेल में गतिविधियों के माध्यम से स्कूल-पूर्व शिक्षा की जानकारी दी जा रही है | इसके तहत जनपद में 60 केन्द्रों को मॉडल केन्द्र बनाए गए हैं । इन केन्द्रों की कार्यकत्रियों को प्रशिक्षित किया गया है तथा बच्चो के सीखने के सभी संसाधन केन्द्र पर उपलब्ध कराए गए हैं ।
सीडीपीओ झंझरी ब्लॉक डीके गौतम के अनुसार, चौपाल बैठक में इस बात पर विशेष बल दिया गया कि अभिभावक अपने बच्चों को केन्द्र पर नियमित रूप से भेजें । केन्द्रों पर बच्चों को किन-किन गतिविधियों के माध्यम से सिखाया-बताया जाता है, इसका प्रदर्शन भी बैठक में कार्यकर्त्रियों द्वारा किया गया । अभिभावकों को बताया गया कि जब बच्चे घर पर हों, तब अभिभावक बच्चों के लिए समय निकाल कर खेल-खेल में अच्छे व्यवहार और संस्कार सिखाएं ।
सीडीपीओ रुपईडीह नीतू रावत ने बताया कि केन्द्रों से मिलने वाले पोषाहार के अलावा घरों में भी रोजमर्रा में पकने वाले व्यंजनों में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व होते हैं, अगर उनका नियमित सेवन किया जाए, तो कुपोषण की समस्या कभी नहीं आएगी । बीमारी के समय बच्चों को कैसा भोजन कराया जाए, इस बारे में भी उन्होंने लोगों को जानकारी दी । बच्चे को छः माह तक केवल स्तनपान और छः माह बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार के विषय में बताया गया । चौपाल में बच्चों के सुधार को लेकर सुझाव मांगे गए ।
वहीं पंड़री कृपाल ब्लॉक के पंड़री वल्लभ गांव में आयोजित ग्राम चौपाल को संबोधित करते हुए विक्रमशिला के जिला समन्वयक सर्वेश कुमार सिंह ने कहा कि शिशु के मस्तिष्क का विकास गर्भावस्था के समय ही शुरू हो जाता है और गर्भवती माता के स्वास्थ्य, खान-पान और वातावरण का उस पर प्रभाव पड़ता है । इसलिए अभिभावकों को महिला के गर्भवती होते ही खानपान, रहन-सहन, साफ़-सफाई और घर में स्वस्थ एवं खुशनुमा माहौल बनाए रखने पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।चौपाल में आंगनबाडी कार्यकत्री कृष्णावती, सहायिका अनुसुइया देवी, शिक्षक पवन गुप्ता, आशा ममता व बीडीसी संदीप समेत क्षेत्र के लगभग सौ अभिभावकों ने प्रतिभाग किया ।
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